पटना डेस्क: एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (AINU) के डॉक्टरों ने पेशाब से जुड़ी समस्याओं के लिए एक अनोखा समाधान पेश किया है। आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के 38 वर्षीय व्यक्ति को बार-बार पेशाब आने, अधूरे मूत्रत्याग और मूत्राशय भरा होने की समस्या थी। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में प्राइमरी ब्लैडर नेक ऑब्स्ट्रक्शन (PBNO) कहा जाता है।

PBNO क्या है?

प्राथमिक मूत्राशय गर्दन अवरोध (PBNO) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मूत्राशय की गर्दन पेशाब करते समय पूरी तरह नहीं खुलती, जिससे पेशाब का प्रवाह रुक जाता है। यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है। शोध के अनुसार, 55 वर्ष से कम उम्र के 33-45% पुरुषों को यह समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर निचले मूत्र पथ के लक्षणों (LUTS) वाले मरीजों में देखा जाता है।

AINU के डॉक्टरों की अनोखी खोज

AINU के विशेषज्ञों ने इस समस्या के समाधान के लिए iTIND डिवाइस (Temporarily Implanted Nitinol Device) विकसित की है। यह एक उन्नत तकनीक है, जो भारत में अभी कुछ ही चिकित्सा केंद्रों पर उपलब्ध है। अब तक AINU के डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया से आठ मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है।

कैसे काम करता है iTIND डिवाइस?

AINU के कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. मद्दुरी विजय कुमार सरमा के अनुसार, यह डिवाइस मूत्रमार्ग में मूत्राशय की गर्दन पर लगाई जाती है और सात दिनों के बाद हटा दी जाती है। इस अवधि के दौरान, यह तीन छोटे चैनल बनाती है, जिससे मूत्र प्रवाह सुचारू हो जाता है। डिवाइस हटाने के बाद भी यह चैनल खुले रहते हैं, जिससे पेशाब सामान्य हो जाता है।

सर्जरी की जरूरत नहीं

AINU के डॉक्टरों के अनुसार, यह एक सरल और प्रभावी प्रक्रिया है। किसी भी प्रकार की सर्जरी या ऊतक को हटाने की आवश्यकता नहीं होती। पारंपरिक यूरोलॉजिकल सर्जरी के विपरीत, जो यौन क्रिया को प्रभावित कर सकती है, iTIND के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं।

PBNO से होने वाली परेशानियां

PBNO के कारण मरीजों को दिन में हर घंटे पेशाब करने की जरूरत महसूस होती है, जिससे सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। बैठकों में भाग लेने या यात्रा करने में परेशानी होती है और कई लोग शर्म के कारण इलाज नहीं कराते, जिससे किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।

डिवाइस ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद सुधार

AINU के डॉक्टरों ने iTIND डिवाइस लगाकर मरीज की समस्या को पूरी तरह ठीक कर दिया। यह प्रक्रिया आउट पेशेंट आधार पर होती है, जिससे मरीज उसी दिन घर जा सकता है। केवल स्थानीय एनेस्थीसिया की जरूरत होती है, जिससे यह हृदय या फेफड़ों की समस्या वाले मरीजों के लिए भी सुरक्षित है। इस प्रक्रिया में न टांके लगते हैं, न ही कोई निशान पड़ता है, और यौन क्रिया पर भी कोई असर नहीं पड़ता।

iTIND डिवाइस से पूरी तरह सुरक्षित इलाज

डॉ. विजय कुमार सरमा ने बताया कि iTIND डिवाइस प्रोस्टेट और मूत्राशय की गर्दन को खोलकर 5-7 दिनों में एक प्राकृतिक मूत्र प्रवाह चैनल तैयार कर देती है। पारंपरिक उपचारों के विपरीत, जहां प्रोस्टेट का एक हिस्सा हटाना पड़ता है और जिससे स्खलन की समस्या हो सकती है, iTIND विधि पूरी तरह गैर-आक्रामक है और सामान्य यौन कार्य को सुरक्षित रखती है।

डिस्क्लेमर

यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी चिकित्सा उपचार से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

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