कानून बना वक्फ संशोधन विधेयक

पटना डेस्क: वक्फ संशोधन विधेयक आखिरकार कानून का रूप ले ही लिया। संसद के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। शनिवार की रात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद ये वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 बन गया है। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर आम जनता को इसकी जानकारी दी है। सरकार ने कहा कि सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे सामान्य जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है।

विपक्षी दल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिका दायर कर इस संशोधन अधिनियम को चुनौती दी है। इसके साथ ही वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध में देश के कई हिस्सों में मुस्लिम संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

कानून बनाने पर केंद्र सरकार की दलील
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरोध के बीच केंद्र की एनडीए सरकार की दलील है कि ये कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है। बल्कि इसका उद्देश्य गरीब मुसलमानों के हक को मारने से रोकना, पक्षपात और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है। सरकार का कहना है कि इस कानून से मुस्लिम महिलाओं को लाभ होगा। इसके साथ ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आयेगी।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मांगा था समय
राष्ट्रपति ने वक्फ संशोधन विधेयक को ऐसे समय में मंजूरी दी है जब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसपर मिलने के लिए समय मांगा था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्ददीदी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि- वक्फ संशोधन विधेयक के जरिए किए गए बदलाव वक्फ संस्थान के प्रशासन और स्वायत्ता को प्रभावित करते हैं। ये असंवैधानिक और देश के मुसलमानों पर हमला है।

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