नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्टों में उठाए गए उस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें दो अलग-अलग राज्यों के मतदाताओं के वोटर कार्ड पर समान EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) नंबर होने का दावा किया गया था। आयोग ने स्पष्ट किया कि EPIC नंबर के समान होने का फर्जी मतदाताओं से कोई संबंध नहीं है।
डुप्लिकेट EPIC नंबर से बचने के लिए उठाए जाएंगे कदम
आयोग ने कहा कि अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक ही अल्फान्यूमेरिक सीरीज के कारण कुछ मतदाताओं के EPIC नंबर समान हो सकते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए, अब पंजीकृत मतदाताओं को यूनीक EPIC नंबर दिया जाएगा ताकि किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति न बने।
चुनाव आयोग ने दिया विस्तृत स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग के निदेशक अनुज चांडक द्वारा जारी प्रेस बयान में कहा गया कि सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्टों में इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद आयोग ने इसकी जांच की। उन्होंने स्पष्ट किया कि समान EPIC नंबर वाले मतदाताओं की जनसांख्यिकीय जानकारी, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र अलग-अलग होते हैं। इस कारण, कोई भी मतदाता केवल अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपने निर्दिष्ट मतदान केंद्र पर ही मतदान कर सकता है, किसी अन्य स्थान पर नहीं।
EPIC नंबर समान होने का कारण क्या है?
चुनाव आयोग के अनुसार, पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के लिए विकेन्द्रीकृत और मैन्युअल प्रणाली का उपयोग किया जाता था। इस प्रक्रिया के दौरान, कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के CEO कार्यालयों ने एक ही EPIC अल्फान्यूमेरिक सीरीज का उपयोग किया, जिससे कुछ विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं को डुप्लिकेट EPIC नंबर मिलने की संभावना बनी।
यूनीक EPIC नंबर से समस्या होगी दूर
चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि अब सभी पंजीकृत मतदाताओं को यूनीक EPIC नंबर आवंटित किया जाएगा। डुप्लिकेट EPIC नंबर वाले मामलों को जल्द ही ठीक किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी कोई समस्या न हो। इस बदलाव के लिए ERONET 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट किया जाएगा।