पटना: बिहार में बुधवार को नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें बीजेपी के सात नए मंत्री शामिल किए गए। वहीं, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस विस्तार के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।

इसी बीच, बीजेपी के ही एक विधायक ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बिहपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक ई० कुमार शैलेंद्र ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें मंत्री इसलिए नहीं बनाया गया क्योंकि वे दलाली नहीं करते। मंत्रीमंडल में जगह न मिलने से उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ गई है।

“हम मंत्री क्यों बनेंगे? सीधे मुख्यमंत्री बनेंगे!”

नवगछिया में मीडिया से बातचीत के दौरान जब विधायक ई० कुमार शैलेंद्र से पूछा गया कि क्या उन्हें मंत्री पद को लेकर कोई प्रस्ताव मिला था, तो उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा “हम मंत्री पद के पीछे नहीं भागते। हम किसी के आगे-पीछे नहीं घूमते। हम दलाली नहीं करते, इसलिए हमें मंत्री नहीं बनाया गया।” उन्होंने आगे कहा कि “इस जन्म में तो मुझे मंत्री नहीं बनाएंगे। लोग बेवजह शोर मचाते हैं, लेकिन हमें इससे फर्क नहीं पड़ता। हमारी प्राथमिकता सिर्फ क्षेत्र का विकास है।”

मंत्रिमंडल विस्तार में दरकिनार करने का आरोप

विधायक शैलेंद्र ने आरोप लगाया कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में भागलपुर प्रमंडल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। उन्होंने कहा “गोपाल मंडल को पार्टी ने सचेतक पद दिया, लेकिन मुझे न सिर्फ मंत्री पद से वंचित रखा गया, बल्कि सचेतक पद से भी हटा दिया गया। यह आखिर किस आधार पर किया गया?” उन्होंने सवाल उठाया कि पार्टी ने उनके साथ अन्याय किया है और इस उपेक्षा का जवाब उन्हें चाहिए।

“मंत्री बनने से ज्यादा जरूरी जनता की सेवा”

ई० कुमार शैलेंद्र ने मंत्री बनने की इच्छा से इनकार करते हुए कहा कि उनका असली उद्देश्य जनता की सेवा करना है। उन्होंने कहा “अगर मंत्री बन भी जाते, तो सिर्फ रुतबा बढ़ता। लेकिन हमारी असली पहचान हमारे क्षेत्र की जनता है। हमारे लिए सबसे जरूरी है कि क्षेत्र में विकास होता रहे।” उन्होंने यह भी कहा कि उनके लिए पद नहीं, बल्कि जनता की सेवा प्राथमिकता है।

क्या BJP में असंतोष बढ़ेगा?

ई० कुमार शैलेंद्र के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। बीजेपी में कई विधायक पहले से ही मंत्रिमंडल में जगह न मिलने को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे में शैलेंद्र का बयान पार्टी में असंतोष को और बढ़ा सकता है। अब सवाल यह है कि बीजेपी नेतृत्व इस स्थिति को कैसे संभालेगा? क्या पार्टी नाराज विधायकों को मनाने के लिए कोई कदम उठाएगी, या फिर यह असंतोष आने वाले समय में किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा कर रहा है?

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