प्रयागराज: महाकुंभ मेला 2025 में साधु-संतों और श्रद्धालुओं के बीच रुद्राक्ष की जबरदस्त मांग देखी जा रही है। नागा संन्यासी अपने शरीर पर हजारों रुद्राक्ष धारण किए हुए घूम रहे हैं, जिससे रुद्राक्ष वाले बाबा भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस भव्य मेले में 7 करोड़ से अधिक रुद्राक्ष के दानों और मालाओं से द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया गया है, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां से भक्तों को रुद्राक्ष वितरित कर आशीर्वाद दिया जा रहा है, जिससे रुद्राक्ष की लोकप्रियता और भी बढ़ गई है। इस कारण मेले में फुटपाथ से लेकर बड़े शिविरों तक रुद्राक्ष और इसकी मालाएं बेची जा रही हैं।
रुद्राक्ष: शिव के आंसुओं से उत्पन्न पवित्र मणि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ एक दिव्य फल है। शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि जब भगवान शिव हजारों वर्षों तक ध्यानमग्न रहे, तब उनकी आंखों से आंसू टपके, जिससे रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ। इसे धारण करना भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के समान माना जाता है। प्राचीन काल से साधु-संन्यासी और भक्तजन इसे धारण करते आए हैं।
रुद्राक्ष की बढ़ती मांग और बिक्री
महाकुंभ में रुद्राक्ष की मांग अपने चरम पर है। दूर-दराज से आए श्रद्धालु सड़क किनारे लगी दुकानों और बड़े साधु-संतों के शिविरों में रुद्राक्ष खरीद रहे हैं। इस बार का महाकुंभ व्यापारियों के लिए भी बेहद लाभदायक साबित हो रहा है। हरिद्वार से आए 40 साल से रुद्राक्ष के व्यापार में जुड़े संजीव कुमार का कहना है कि 2001 से हर कुंभ में आते रहे हैं, लेकिन इस बार की बिक्री सबसे ज्यादा है। नकली और असली दोनों प्रकार के रुद्राक्ष की बिक्री में तेजी देखी जा रही है।
रुद्राक्ष धारण करने के लाभ

रुद्राक्ष को शिव का अंश माना जाता है और इसे धारण करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:
स्वभाव में सकारात्मक बदलाव आता है।
आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होता है।
बुरी आदतों से मुक्ति मिलती है।
मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
रुद्राक्ष धारण करने को लेकर फैले भ्रम
रुद्राक्ष के संबंध में कई भ्रांतियां प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे धारण करने के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता बताते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार यह लाभकारी वस्तु है, कोई बाध्यता नहीं है। इसे रात में उतारकर सोना चाहिए। यदि शराब या मांसाहार ग्रहण कर रहे हैं तो इसे शरीर से अलग कर जेब में रख सकते हैं और सुबह स्नान के बाद पुनः धारण कर सकते हैं।
असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान
रुद्राक्ष की शुद्धता की पहचान के लिए कुछ विशेष तरीके अपनाए जा सकते हैं:
1. पानी में डुबाने की परीक्षाअसली रुद्राक्ष पानी में डूब जाता है।नकली या हल्के रुद्राक्ष पानी की सतह पर तैर सकते हैं।
2. रुद्राक्ष की संरचनाअसली रुद्राक्ष में प्राकृतिक खांचे (मुख) होते हैं।नकली रुद्राक्ष में कृत्रिम तरीके से खांचे बनाए जाते हैं।
3. रुद्राक्ष का रंग परिवर्तनअसली रुद्राक्ष शरीर के तापमान से धीरे-धीरे गहरा होता जाता है।नकली रुद्राक्ष का रंग सफेद पड़ सकता है या प्लास्टिक जैसा बना रह सकता है।
4. सरसों के तेल की परीक्षाअसली रुद्राक्ष को रातभर तेल में डुबोकर रखने पर उसका रंग नहीं बदलेगा।नकली रुद्राक्ष में रंग छोड़ने की संभावना होती है।
5. मैग्नीफाइंग ग्लास से निरीक्षणअसली रुद्राक्ष के मुख स्पष्ट होते हैं।नकली रुद्राक्ष में लकीरें स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं।
रुद्राक्ष धारण करने के सही नियम
रुद्राक्ष को धारण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं:
इसे गले में पहनना सर्वोत्तम माना जाता है।
कलाई में 12, गले में 36, और हृदय पर 108 दानों वाली माला पहनने का विशेष महत्व है।
गृहस्थ लोग इसे लाल धागे में और संत लोग सफेद धागे में धारण करें।
इसे धारण करने से पहले रातभर सरसों के तेल में भिगोकर रखें और सुबह भगवान शिव की पूजा के बाद धारण करें।
रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार और उनके लाभ
1. एकमुखी रुद्राक्षसाक्षात शिव का स्वरूप माना जाता है।अत्यंत दुर्लभ और महंगा होता है।मानसिक शांति और आत्म-साक्षात्कार के लिए उपयोगी।
2. द्विमुखी रुद्राक्षशिव-पार्वती का स्वरूप।वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
3. त्रिमुखी रुद्राक्षमंगल दोष निवारण के लिए उपयोगी।आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ाता है।
4. चतुर्मुखी रुद्राक्षब्रह्मा का प्रतीक।बुद्धि और ज्ञान बढ़ाने में सहायक।
5. पंचमुखी रुद्राक्षयह सबसे अधिक प्रचलित है।इसे कोई भी धारण कर सकता है।सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
6. षष्ठमुखी, सप्तमुखी, अष्टमुखी और ग्यारहमुखी रुद्राक्षविभिन्न ग्रह दोषों को दूर करने में सहायक।आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्रदान करते हैं।
7. इक्कीसमुखी रुद्राक्षअत्यंत दुर्लभ।धारण करने से अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ होते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
इसे स्नान के बाद साफ मन से धारण करें।
गलत संगति से बचें और पवित्रता बनाए रखें।
इसे किसी और को पहनने के लिए न दें।
नियमित रूप से गंगाजल या शुद्ध जल से साफ करें।
निष्कर्ष
महाकुंभ मेला 2025 में रुद्राक्ष की भारी मांग देखी जा रही है। भक्तों और साधु-संतों के बीच रुद्राक्ष की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। इसके आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभों के कारण लोग इसे धारण करने के लिए तत्पर हैं। असली रुद्राक्ष की पहचान और इसके धारण करने के सही नियमों को समझना आवश्यक है, ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।