करनाल: 5 फरवरी 2025 को अमेरिका का मिलिट्री विमान अवैध भारतीय प्रवासियों को भारत लेकर आया। विमान में 104 लोग थे, जिन्हें अमेरिका में गैरकानूनी रूप से रहने के कारण डिपोर्ट किया गया। ये लोग मेक्सिको-अमेरिका सीमा पार करते समय पकड़े गए थे और डंकी रूट के जरिए अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहे थे।

हरियाणा के 33 युवक डिपोर्ट हुए

बुधवार को यह विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा, जहां से सभी लोगों को उनके घरों तक भेजा गया। इनमें गुजरात के 33, पंजाब के 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के 3-3, तथा चंडीगढ़ के 2 लोग शामिल थे। हरियाणा से 33 युवक थे, जिनमें सबसे ज्यादा करनाल जिले के थे। करनाल जिले से 7 युवक डिपोर्ट हुए।

घरौंडा के दो युवक भी लौटे

परिजन अमृतसर एयरपोर्ट पर अपने प्रियजनों को लेने पहुंचे। वेरिफिकेशन के बाद उन्हें सौंप दिया गया। हालांकि, घर लौटने के बावजूद उनके घरों में मातम का माहौल था। डिपोर्ट हुए करनाल के 7 युवकों में घरौंडा के दो युवक, आकाश और अरुण, भी शामिल हैं।

26 जनवरी को अमेरिका पहुंचा था आकाश

घरौंडा के कलरा गांव के आकाश ने 26 जनवरी 2025 को मेक्सिको की दीवार पार कर अमेरिका में घुसने की कोशिश की थी लेकिन उसे पकड़ लिया गया। उसने जंगलों में छिपे लोगों के कुछ वीडियो भी दिखाए। आकाश के भाई के अनुसार, अमेरिका पहुंचने के लिए अब तक 72 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। परिवार अब एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।

आकाश का परिवार कर्ज में डूबा

गांव के सरपंच दीपेंद्र ने बताया कि आकाश के परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी। अमेरिका भेजने के लिए उन्होंने जमीन बेचकर 40 लाख रुपये का कर्ज लिया। आकाश तीन महीने पहले घर से निकला और अब वापस लौट आया है।

सरकार से रोजगार की मांग

आकाश के परिजनों का कहना है कि सरकार को बेरोजगारी की समस्या पर ध्यान देना चाहिए। आकाश के पिता वीरेंद्र की पहले ही मौत हो चुकी थी। अब परिवार पर कर्ज बढ़ गया है और आमदनी का कोई जरिया नहीं बचा। परिजनों ने बताया कि एजेंट ने 65 लाख रुपये मांगे थे, जबकि अतिरिक्त खर्च 6-7 लाख रुपये बताया गया था।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

परिवार के लोग बेहद दुखी हैं। उनका कहना है कि बेरोजगारी के कारण उनके बच्चे विदेश जाने को मजबूर हैं। अब वे इस भारी कर्ज को कैसे चुकाएंगे, यह सबसे बड़ी चिंता है। सरकार से मांग की गई है कि रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं ताकि युवाओं को विदेश जाने के लिए मजबूर न होना पड़े।

अरुण ने जमीन बेचकर अमेरिका जाने का सपना देखा

घरौंडा का अरुण पाल भी परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अमेरिका गया था। छह महीने पहले डंकी रूट के जरिए वहां पहुंचा था। उसने 30 लाख रुपये खर्च किए और वहां काम भी मिलने लगा था। लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और उसे डिपोर्ट कर दिया गया।

सदमे में अरुण का परिवार

अरुण के परिजनों ने बताया कि उसने विदेश में कमाई के लिए जमीन बेच दी थी। कुछ लोगों ने घर गिरवी रखा या भारी कर्ज लिया। अब सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह कर्ज कैसे चुकाया जाए।

क्या है डंकी रूट?

डंकी रूट गैरकानूनी तरीके से विदेश जाने का रास्ता है। इसमें एजेंट भारी रकम लेकर युवकों को समुद्र, जंगल और सीमाओं से होकर दूसरे देश पहुंचाते हैं। इस दौरान उनके साथ मारपीट होती है, उन्हें भूखा-प्यासा रखा जाता है, लूटपाट होती है और जान से मारने की धमकियां दी जाती हैं। किसी तरह बॉर्डर पार करवाकर उन्हें अमेरिका जैसे देशों में भेजा जाता है।

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