पलामू: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत तय लक्ष्य के अनुसार मजदूरों को काम नहीं मिलने पर प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। पलामू के उप विकास आयुक्त शब्बीर अहमद ने इस लापरवाही के लिए तीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों (बीडीओ) और तीन प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारियों (बीपीओ) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

मनरेगा की समीक्षा बैठक में हुआ खुलासा

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बुधवार को उप विकास आयुक्त शब्बीर अहमद ने मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, पीएम जन्म और अबुआ आवास योजना की ऑनलाइन समीक्षा की। इस दौरान यह सामने आया कि पलामू जिले के विभिन्न प्रखंडों में मजदूरों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिला है। मेदिनीनगर, पाटन, मोहम्मदगंज, बिश्रामपुर, हुसैनाबाद और अन्य क्षेत्रों में निर्धारित रोजगार दिवस का मात्र 65.78 प्रतिशत ही सृजन हो पाया।

सबसे खराब स्थिति वाले प्रखंड

पलामू के पाटन में 61.25%, मेदिनीनगर में 60.11% और विश्रामपुर में सिर्फ 58.21% मानव दिवस सृजित हो पाए। इस गंभीर लापरवाही को देखते हुए उप विकास आयुक्त ने तीनों प्रखंडों के बीडीओ और बीपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

पुरानी योजनाओं का भी निपटारा करने के निर्देश

समीक्षा में यह भी पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 से पहले की मनरेगा की 14,681 योजनाएं अभी भी अधूरी पड़ी हैं। उप विकास आयुक्त ने मनरेगा सॉफ्ट में लंबित योजनाओं को जल्द से जल्द बंद करने और आवास योजना के लाभार्थियों को सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

कई बिंदुओं पर अधिकारियों को मिले निर्देश

बैठक के दौरान उप विकास आयुक्त ने विभिन्न योजनाओं की प्रगति पर अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए, जिससे आने वाले समय में मजदूरों को रोजगार मिलने में कोई बाधा न हो।

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