पटना: नियमों को नजरअंदाज कर जिले में आशा बहाली में अनियमितताएं हो रही हैं। जिलास्तर पर जांच के बाद 10 पीएचसी से 125 आशा चयनित की गई थीं, लेकिन अनुमोदन के लिए भेजी गईं फाइलें लौटा दी गई हैं। गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की बाधाखाल पंचायत में तीन आशाओं के चयन को रद्द कर दिया गया है, और वहां नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए गायघाट पीएचसी प्रभारी को 21 दिन के अंदर चयन पूरा करने का आदेश दिया गया है।

पीएचसी प्रभारी के बिना हुआ चयन

जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार, गायघाट की बाधाखाल पंचायत में बहाल तीन आशाओं – निरमा कुमारी, रीना कुमारी और मधु कुमारी – का चयन निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही पीएचसी प्रभारी और प्रबंधक से जवाब-तलब किया गया है। जिला सामुदायिक उत्प्रेरक के प्रभारी राजकिरण और लेखापाल उपेन्द्र दास को हटा दिया गया है। अब उनकी जगह राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. प्रशांत को प्रभार सौंपा गया है। सिविल सर्जन ने डॉ. प्रशांत को निर्देश दिए हैं कि आशा बहाली की फाइलों का अध्ययन जल्द किया जाए और पीएचसी को वापस भेजकर समय पर चयन सुनिश्चित किया जाए ताकि सरकारी योजनाओं में कोई विघ्न न आए।

10 पीएचसी में नियमों की अवहेलना

2020 से अक्टूबर 2024 तक सरैया, कांटी, गायघाट, पारू बोचहां, सकरा, मडवन, मोतीपुर, कुढ़नी और कटरा पीएचसी के प्रभारी द्वारा भेजी गई आशा चयन की फाइलें भी वापस कर दी गई हैं। जांच में पाया गया कि इन फाइलों की आमसभा में पीएचसी प्रभारी मौजूद नहीं थे, जो कि अनिवार्य है। नियमों के अनुसार, मुखिया और पीएचसी प्रभारी की उपस्थिति आमसभा में होना जरूरी है, इसलिए इन फाइलों को मंजूरी से पहले लौटा दिया गया। इससे जिले में हलचल मच गई है।

कैसे सामने आया मामला, और क्या हुई जांच

गायघाट के वार्ड सदस्य मनोज सहनी ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि आशा बहाली में गड़बड़ी हुई है। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार ने जांच का आदेश दिया। जांच में यह पाया गया कि मुखिया ने भी चयन प्रक्रिया को निरस्त करने के लिए सिविल सर्जन को पत्र भेजा था। सिविल सर्जन ने दो स्तरों पर जांच कराई। पहली जांच टीम में जिला कार्यक्रम प्रबंधक और जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी शामिल थे, जबकि दूसरी टीम में जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी और जिला यक्ष्मा रोग पदाधिकारी थे। दोनों टीमों ने चयन प्रक्रिया को निरस्त करने की सिफारिश की। जांच में यह सामने आया कि पीएचसी प्रभारी किसी आमसभा में नहीं थे और एक साथ तीन वार्डों में चयन किया गया था। साथ ही, जहां अभ्यर्थी का घर नहीं था, वहां भी चयन किया गया। इन कारणों से चयन को निरस्त कर दिया गया। जिला कार्यक्रम प्रबंधक रेहान अशरफ ने कहा कि तीन आशाओं का चयन रद्द कर दिया गया है, और नौ प्रखंडों के पीएचसी प्रभारी को नियमानुसार चयन प्रक्रिया दोबारा पूरी कर अनुमोदन के लिए फाइल भेजने का आदेश दिया गया है।

आशा बहाली के नियम

जिला स्वास्थ्य समिति के अनुसार, आशा के चयन के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि पंचायत में चयन से 21 दिन पहले सूचना जारी की जाए और उसका प्रचार-प्रसार आशा उत्प्रेरक और एएनएम द्वारा किया जाए। आमसभा में मुखिया और पीएचसी प्रभारी का रहना अनिवार्य है। एक हजार की आबादी पर एक आशा नियुक्त की जाती है, और अगर उम्मीदवारों की संख्या दो या दो से ज्यादा हो, तो चयन किया जाता है। उम्मीदवार का चयन उनकी शैक्षिक योग्यता और उसी वार्ड का निवासी होने के आधार पर किया जाता है। चयनित उम्मीदवारों के नाम अनुमोदन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को भेजे जाते हैं, और एक सप्ताह के अंदर समिति से अनुमोदन मिलने के बाद पीएचसी प्रभारी आशा को चयन पत्र जारी करते हैं।

पीएचसी प्रभारी को नया टास्क

नए चयन के दौरान पीएचसी प्रभारी को आमसभा में शामिल रहकर चयन की पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट तैयार करनी होगी और उसे जिले में भेजना होगा।

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