पटना: किसानों की सुविधा और कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए नीतीश सरकार प्रखंड कृषि अधिकारियों (बीएओ) को अधिक स्वतंत्रता और शक्ति देने जा रही है। अब बीएओ का पर्यवेक्षक अधिकारी (बॉस) प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) नहीं होगा, बल्कि जिला कृषि अधिकारियों को इस भूमिका में लाया जाएगा। कृषि विभाग ने इस प्रस्ताव को तैयार कर लिया है, और सामान्य प्रशासन विभाग की स्वीकृति के बाद ग्रामीण विकास विभाग से सुझाव मांगे जा रहे हैं।

महत्वपूर्ण निर्णय

असल में, ग्रामीण विकास अधिकारी (आरडीओ) और राजस्व अधिकारी (अंचल निरीक्षक) को ग्रामीण एवं राजस्व सेवा में नियुक्त किया गया है। ये दोनों बीएओ के समकक्ष अधिकारी हैं। इन तीनों का वेतनमान और सेवा वर्ग समान है। तीनों ही पर्यवेक्षीय सेवा वर्ग में चयनित होते हैं, लेकिन आरडीओ और राजस्व अधिकारी को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा दिया गया है, जबकि बीएओ इससे वंचित रहे हैं। नियमावली में विसंगति के चलते बीएओ हाशिये पर आ गए हैं।

जब प्रखंडों की संरचना शुरू हुई थी, तब बिहार प्रशासनिक सेवा के एडीएम स्तर के अधिकारी बीडीओ और सीओ बनाए जाते थे। बाद में, सेवा नियमावली में संशोधन कर राजस्व और ग्रामीण विकास अधिकारियों को सीओ और बीडीओ का दायित्व सौंपा गया, लेकिन बीएओ का पद अपग्रेड नहीं किया गया। अब इस विसंगति को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

बिप्रसे अधिकारियों की तैनाती का विरोध

बिहार राजस्व सेवा संघ यूनाइटेड ने डीसीएलआर और जिला भू अर्जन पदाधिकारियों के पद पर बिप्रसे अधिकारियों की नियुक्ति का विरोध किया है। रविवार को आयोजित बैठक में कहा गया कि इस संवर्ग के लिए चिह्नित पदों पर मनमानी हो रही है। संघ के अध्यक्ष कुंदन कुमार लाल ने बैठक की अध्यक्षता की और कहा कि प्रोन्नति के कारण राजस्व सेवा संघ के अधिकारी उच्चतर पदों पर तैनाती के योग्य हो गए हैं। बैठक में संघ के उपाध्यक्ष शिवशंकर गुप्ता और महासचिव प्रवीण कुमार पांडेय सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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