रांची/झारखंड: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के आठवें दिन कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के लिए 24 अरब 21 करोड़ 8 लाख 16 हजार रुपये की अनुदान मांग को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस महत्वपूर्ण सत्र में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक मौजूद नहीं थे।
सरकार की आलोचना से नहीं डरते- कृषि मंत्री
अनुदान मांग पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार आलोचना से घबराने वाली नहीं है। उन्होंने विपक्ष की गैर-मौजूदगी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि झारखंड की कृषि व्यवस्था अभी भी चुनौतियों से घिरी हुई है, जहां छोटे-छोटे भूखंड और जल संकट प्रमुख समस्याएं हैं।
किसानों के लिए नई योजनाएं लागू
किसान सबसे पहले बीज की उपलब्धता को लेकर चिंतित रहता है, फिर बारिश और कृषि ऋण की परेशानी आती है। इसके अलावा, अपनी उपज के भंडारण को लेकर भी वह परेशान रहता है। सरकार ने अब तक 1 लाख क्विंटल से अधिक बीज वितरित किए हैं। चुनावी वर्ष में बीज वितरण को लेकर कुछ दिक्कतें जरूर आईं, लेकिन सरकार किसानों को राहत देने के लिए बड़े फैसले लेने जा रही है।
बिरसा पक्का चेक डैम योजना शुरू होगी
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ‘बिरसा पक्का चेक डैम योजना’ शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत छोटी नदियों के जल प्रवाह को खेतों की ओर मोड़ा जाएगा, जिससे सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी।
2 लाख तक का कृषि ऋण होगा माफ
कृषि मंत्री ने घोषणा की कि सरकार 2 लाख रुपये तक के कृषि ऋण को माफ करने जा रही है। अभी तक केवल स्टैंडर्ड लोन को ही माफी दी गई थी, लेकिन अब सरकार एनपीए खातों को लेकर भी बड़ा निर्णय लेने की तैयारी कर रही है।
छोटे कोल्ड स्टोरेज ज्यादा प्रभावी
राज्य के हर जिले में 5000 मीट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज बनाए जा रहे हैं, हालांकि रामगढ़, धनबाद, बोकारो और खूंटी अभी इससे अछूते हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि बड़े कोल्ड स्टोरेज से किसानों की समस्या हल नहीं होगी। बाजारों के आसपास 5 से 10 मीट्रिक टन क्षमता वाले छोटे कोल्ड स्टोरेज अधिक प्रभावी साबित होंगे, और इस बार के बजट में इसके लिए प्रावधान किया गया है।
100 बिरसा कृषि पाठशाला स्थापित होगी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इच्छा है कि राज्य में 100 बिरसा कृषि पाठशालाएं खोली जाएं ताकि किसानों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी मिल सके। वर्तमान में राज्य में 50 से अधिक कृषि पाठशालाएं संचालित हो रही हैं। दुमका के करों में चल रही बिरसा कृषि पाठशाला का वार्षिक टर्नओवर 22 लाख रुपये तक पहुंच गया है।
खेतों में बढ़ता केमिकल का प्रभाव
झारखंड में यूरिया की खपत तेजी से बढ़ी है। सामान्यतः नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (NPK) का संतुलन 2-1-1 होना चाहिए, लेकिन यह 29-17-1 तक पहुंच गया है। इससे पता चलता है कि कभी जैविक खेती के लिए मशहूर झारखंड के खेत अब रसायनों से भर चुके हैं।
विधायकों ने दिए सुझाव
इस अनुदान मांग पर विधायक सरयू राय, मथुरा महतो, समीर मोहंती, जयराम कुमार महतो, चंद्रदेव महतो, नरेश प्रसाद सिंह, दशरथ गगराई और संदीप गुड़िया ने अपने सुझाव दिए, जिन्हें सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है।