पटना डेस्क: महाकुंभ मेले के सफल समापन के बाद अब श्रद्धालुओं के लिए एक और शुभ अवसर आ गया है। चार धाम यात्रा। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस यात्रा को करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर साल लाखों भक्त इस पवित्र यात्रा पर जाते हैं। आइए जानें कि चार धाम यात्रा क्या है, इसकी तिथियां क्या हैं और यात्रा के दौरान कौन-कौन से दर्शनीय स्थल देखे जा सकते हैं।

चार धाम यात्रा क्या है?
उत्तराखंड स्थित यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ मिलकर चार धाम यात्रा का निर्माण करते हैं। श्रद्धालु इन पवित्र धामों की यात्रा करके आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाते हैं। यह यात्रा हिंदू धर्म में सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाती है।

चार धाम यात्रा कब शुरू होगी?
हर साल महाशिवरात्रि के दिन चार धाम यात्रा की तिथियों की घोषणा की जाती है। इस वर्ष, केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को सुबह 7 बजे खुलेंगे, जबकि बद्रीनाथ मंदिर 4 मई को भक्तों के लिए खुलेगा। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
यमुनोत्री धाम
चार धाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है। यह तीर्थ स्थल समुद्र तल से 3,293 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां घूमने लायक प्रमुख स्थानों में रैथल, बार्सू, उत्तरकाशी, हनुमान चट्टी, जानकी चट्टी, खरसाली, बड़कोट और दियारा बुग्याल शामिल हैं।

गंगोत्री धाम
चार धाम यात्रा का दूसरा धाम गंगोत्री है। यह स्थान समुद्र तल से 3,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री के प्रमुख पर्यटन स्थलों में भागीरथी हिल्स, डोडी ताल, केदार ताल, गंगोत्री मंदिर, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, गोमुख तपोवन ट्रेक और केदार ताल ट्रेक शामिल हैं।
केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदाकिनी नदी के किनारे समुद्र तल से 3,583 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों में गांधी सरोवर, सूर्य प्रयाग, गौरीकुंड मंदिर, वासुकी ताल, शंकराचार्य समाधि, भैरवनाथ मंदिर और रुद्र गुहा शामिल हैं।
बद्रीनाथ धाम
चार धाम यात्रा का अंतिम पड़ाव बद्रीनाथ है। यह धाम अलकनंदा नदी के किनारे समुद्र तल से 3,133 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां भगवान विष्णु ने ध्यान किया था। इस धाम के निकट स्थित दर्शनीय स्थलों में वसुधारा जलप्रपात, नारद कुंड, सतोपंत ट्रेक, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी शामिल हैं।

चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
भक्तों के लिए मई-जून और सितंबर-अक्टूबर का समय यात्रा के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है। जुलाई-अगस्त में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ का खतरा रहता है। नवंबर से अप्रैल के बीच भारी बर्फबारी के कारण मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।
चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया
चार धाम यात्रा में भाग लेने के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। इसके लिए आपको आधार कार्ड या सरकारी पहचान पत्र, फोटोग्राफ और मेडिकल प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
ऑनलाइन पंजीकरण
यात्रा के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग या चार धाम यात्रा पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। यहां व्यक्तिगत जानकारी और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे।
ऑन-साइट पंजीकरण
जो श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर सकते, वे हरिद्वार, ऋषिकेश और यात्रा के अन्य शुरुआती बिंदुओं पर ऑन-साइट पंजीकरण करा सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है। किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।



































