पटना: बुधवार को पटना राजभवन में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बीजेपी के 7 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। वहीं, जेडीयू कोटे से किसी भी मंत्री को शामिल नहीं किए जाने को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। आरजेडी का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा के विपरीत यह विस्तार हुआ है और बीजेपी ने सरकार पर नियंत्रण कर लिया है।
रोहिणी आचार्य का सीएम नीतीश पर तंज

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी और सारण लोकसभा सीट से प्रत्याशी रहीं रोहिणी आचार्य ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी पार्टी जेडीयू के किसी भी नेता को मंत्री नहीं बना सके। उन्होंने आरोप लगाया कि कैबिनेट विस्तार का फैसला नीतीश कुमार ने नहीं, बल्कि बीजेपी नेतृत्व ने लिया है।
‘नीतीश सिर्फ एक मुखौटा मुख्यमंत्री’ – रोहिणी आचार्य
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर लिखा,”नीतीश कुमार जी की सरकार पर विभाजनकारी भाजपा का कब्ज़ा हो चुका है। कैबिनेट विस्तार में अपनी पार्टी के किसी भी मंत्री को शपथ नहीं दिलवा सके। भाजपा के आदेशों का पालन करने को मजबूर, बेबस और निरीह – बस एक मुखौटा मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं नीतीश कुमार।”
आरजेडी का सवाल – दलितों को क्यों नहीं मिला मंत्री पद?
बीजेपी और नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने सवाल उठाया कि मंत्रिमंडल में दलित समुदाय से किसी को भी शामिल क्यों नहीं किया गया?
“नीतीश कुमार हमेशा कहते हैं कि सभी जातियों को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा, लेकिन न तो दलित, न ही यादव और ना ही मुस्लिम समाज से किसी को मंत्री बनाया गया। इससे साफ पता चलता है कि अब सरकार में सिर्फ बीजेपी के नेताओं का ही प्रभाव रह गया है और नीतीश कुमार सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री हैं।” – एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
बीजेपी कोटे से 7 नए मंत्री शामिल
कैबिनेट विस्तार के तहत बीजेपी कोटे से 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें शामिल नेता और उनकी जातियां इस प्रकार हैं:
जीवेश मिश्रा – भूमिहार
राजू सिंह – राजपूत
संजय सरावगी – वैश्य
मोतीलाल प्रसाद – तेली
विजय मंडल – केवट
कृष्ण कुमार मंटू – कुर्मी
सुनील कुमार – कुशवाहा
इस जातिगत संतुलन के आधार पर आरजेडी ने यादव, दलित और मुस्लिम समुदाय को जगह नहीं देने के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
नीतीश कैबिनेट विस्तार से क्या बदलेगा बिहार की सियासत?
कैबिनेट विस्तार के बाद आरजेडी का आक्रामक रुख और नीतीश कुमार पर तीखे हमले यह संकेत दे रहे हैं कि बिहार की राजनीति में नया समीकरण बनने की शुरुआत हो चुकी है। अब देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार इस आलोचना का किस तरह जवाब देते हैं और क्या जेडीयू कार्यकर्ता इस फैसले से संतुष्ट हैं या नहीं।