नई दिल्ली: केंद्र सरकार पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी 20% हिस्सेदारी कम करने की विस्तृत योजना पर कार्य कर रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), वित्तीय सेवा विभाग और संबंधित बैंकों के सहयोग से तैयार की जा रही है।
सेबी के नियमों का अनुपालन जरूरी
इस पहल का उद्देश्य भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ऑफर-फॉर-सेल (OFS) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) जैसी रणनीतियों का उपयोग कर हिस्सेदारी में कमी कर सकती है।
किन बैंकों में घटेगी हिस्सेदारी?
जिन सार्वजनिक बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाने की योजना बना रही है, उनमें शामिल हैं:बैंक ऑफ महाराष्ट्रइंडियन ओवरसीज बैंकयूको बैंकसेंट्रल बैंक ऑफ इंडियापंजाब एंड सिंध बैंकसरकार की योजना इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 75% से नीचे लाने की है।
सरकार और विभागों के बीच समन्वय
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, सरकार इस योजना को निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम), वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और सरकारी बैंकों के परामर्श से अंतिम रूप दे रही है।
मर्चेंट बैंकरों से मांगी गई बोलियां
25 फरवरी को यह जानकारी सामने आई कि दीपम ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सूचीबद्ध वित्तीय संस्थानों के लिए हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में सहायता हेतु मर्चेंट बैंकरों से बोलियां आमंत्रित की हैं।
तीन साल के लिए नियुक्त होंगे मर्चेंट बैंकर
दीपम द्वारा जारी प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) के अनुसार, चयनित मर्चेंट बैंकरों को तीन वर्षों के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा, जिसमें एक साल का विस्तार भी संभव होगा। इन बैंकरों को सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की इक्विटी बिक्री की समय-सीमा और संरचना पर मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।