पटना: बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग लगातार सख्त कदम उठा रहे हैं। फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई जारी है। ताजा मामला भोजपुर जिले से सामने आया है, जहां वर्षों से फर्जीवाड़ा चल रहा था। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस गड़बड़ी का खुलासा किया, जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया।

13 साल से फर्जी शिक्षक बनकर कर रहा था नौकरी

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने भोजपुर जिले में दो फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। शनिवार को पुलिस ने एक शिक्षक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि दूसरा फरार है। गिरफ्तार शिक्षक रवि कुमार गुप्ता कृष्णागढ़ थाना क्षेत्र के सरैया गांव का रहने वाला है। वह उत्क्रमित मध्य विद्यालय घांघर में 13 वर्षों से फर्जी शिक्षक के रूप में नौकरी कर रहा था।

फर्जी बीएड प्रमाण पत्र से बना था शिक्षक

जांच के दौरान रवि कुमार गुप्ता का बीएड प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। उसने यूपी के जौनपुर कॉलेज का जाली सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग को जमा किया था। जैसे ही यह फर्जीवाड़ा सामने आया, कृष्णागढ़ थाने में 20 फरवरी को उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। स्कूल जाते समय पुलिस ने उसे रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया।

महिला शिक्षिका के डिप्लोमा में भी फर्जीवाड़ा

भोजपुर जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डिलीयां में तैनात शिक्षिका नीतिका चौधरी का डिप्लोमा प्रमाण पत्र फर्जी निकला। वह 2015 से शिक्षक पद पर कार्यरत थी। जांच में पता चला कि उसका सर्टिफिकेट मध्यप्रदेश के भोपाल से लिया गया था, लेकिन वह किसी और महिला के नाम पर था। शिक्षिका ने असली तस्वीर हटाकर खुद का फोटो लगा लिया था। इस मामले में उदवंतनगर थाना में उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। नीतिका चौधरी मूल रूप से आरा के मौलाबाग की निवासी है।

सैकड़ों शिक्षकों के कागजातों की हो रही जांच

भोजपुर समेत पूरे बिहार में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की संख्या अधिक हो सकती है। इसे लेकर शिक्षा विभाग सख्त नजर आ रहा है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो अभी भी सैकड़ों शिक्षकों के कागजातों की जांच कर रहा है। जैसे-जैसे फर्जी शिक्षकों का पर्दाफाश हो रहा है, वैसे-वैसे उन पर कार्रवाई की जा रही है।

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