नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर उन देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (पारस्परिक शुल्क) लगाने की बात कही है, जो अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाते हैं। ट्रंप का मानना है कि भारत उन देशों में से एक है जो सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान यह मुद्दा दोनों नेताओं के बीच चर्चा का अहम विषय था।

ट्रंप का साफ संदेश – जितना टैरिफ भारत लगाएगा, उतना ही अमेरिका भी लगाएगा

पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में ट्रंप ने भारत जैसे देशों पर समान टैरिफ लगाने की अपनी नीति दोहराई। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी भारत से आयातित उत्पादों पर उतना ही शुल्क लगाएगा। उन्होंने कहा, “मैं हर देश के साथ ऐसा कर रहा हूं।”

टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ किसी भी देश द्वारा आयात किए जाने वाले उत्पादों पर लगाया जाने वाला शुल्क होता है। उदाहरण के लिए, यदि भारत अमेरिका से किसी वस्तु का आयात करता है, तो वह अपने घरेलू उत्पादकों और किसानों की सुरक्षा के लिए उस पर टैरिफ लगा सकता है।

रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है?

रेसिप्रोकल टैरिफ का अर्थ है कि यदि एक देश किसी दूसरे देश के उत्पादों पर कोई विशेष शुल्क लगाता है, तो वह देश भी उसी अनुपात में जवाबी शुल्क लगा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि भारत अमेरिका से आने वाले स्टील पर 10% शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी भारत के स्टील निर्यात पर 10% टैरिफ लगा सकता है।हालांकि, यह प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होती क्योंकि भारत अमेरिका से कृषि उत्पादों का आयात करता है, जबकि सॉफ्टवेयर और इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात करता है।

अमेरिका और भारत के बीच व्यापार युद्ध की आशंका

ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद यह नीति अपनाई थी और चीन, कनाडा, मैक्सिको समेत कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया था।इस साल की शुरुआत में व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा था कि ट्रंप ने IEEPA (अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम) के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया। इसके तहत कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ और चीन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया था।

ट्रंप प्रशासन का कहना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर उन्होंने यह शुल्क लगाया, जबकि चीन पर मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध रसायनों के निर्यात को लेकर भी आरोप लगाए गए। जवाब में चीन, कनाडा और मैक्सिको ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने की बात कही।

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

भारत को आशंका है कि यदि अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करता है, तो इससे भारतीय निर्यात प्रभावित होगा। इस स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सरकार ने कई नीतिगत बदलाव किए हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में सीमा शुल्क दरों को सरल बनाया और आयात शुल्क की श्रेणियों को घटाकर 8 कर दिया।कुछ अमेरिकी उत्पादों जैसे व्हिस्की पर आयात शुल्क में कटौती की गई है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें तेज हो गई हैं।

भारत के लिए आगे की राह कठिन

अभी तक ट्रंप प्रशासन ने भारत पर कोई बड़ा अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया है। हालांकि, ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में व्यापार नीतियों में बड़े बदलाव करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कई बार भारत के आयात शुल्क को अनुचित बताया है। यदि ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं, तो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को लेकर एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है।

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