पटना: बिहार के पथ निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आते रहे हैं। इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का हेरफेर किया जाता है। ऐसा ही एक मामला गया-1 पथ प्रमंडल में उजागर हुआ, जहां फर्जी चालान के जरिए करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया था। अब इसी तरह का एक और मामला प्रकाश में आया है, जिसमें कार्यपालक अभियंता पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

पूर्व विधायक ललन पासवान ने 29 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कार्यपालक अभियंता सुरेंद्र नारायण के भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सुरेंद्र नारायण, जो कोचस पथ प्रमंडल में कार्यरत हैं, अपने सरकारी आवास में नहीं रहते बल्कि प्रतिदिन पटना से आते-जाते हैं। इस प्रक्रिया में वे सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। यदि उनके मोबाइल की लोकेशन की जांच की जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा।
भ्रष्टाचार के आरोप
पूर्व विधायक ने आरोप लगाया कि ओपीआरएमसी योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। संवेदकों से जबरन पैसा वसूला जा रहा है और जो अभियंता इसका विरोध करते हैं, उनका वेतन रोक दिया जाता है। ठेकेदारों से पहले ही 40% कमीशन मांगा जाता है। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को गलत तरीके से प्रमोट कर कैशियर बनाया गया है।

मुख्यमंत्री सचिवालय ने दिया जांच का आदेश
मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए 16 दिसंबर 2024 को पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि शिकायत की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए और इसकी सूचना शिकायतकर्ता को भी दी जाए।
कार्यपालक अभियंता, पथ प्रमंडल कोचस सुरेन्द्र नारायण

मुख्य अभियंता ने अधीक्षण अभियंता को सौंपी जांच की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री सचिवालय के निर्देश पर 30 जनवरी 2025 को पथ निर्माण विभाग ने दक्षिण बिहार के मुख्य अभियंता को जांच का जिम्मा सौंपा। इसके बाद 10 फरवरी 2025 को मुख्य अभियंता ने भोजपुर अंचल के अधीक्षण अभियंता को जांच करने के निर्देश दिए।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अब देखना होगा कि अधीक्षण अभियंता भोजपुर अंचल जांच कर कब तक अपनी रिपोर्ट सौंपते हैं और क्या इस भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कार्रवाई होती है।