हैदराबाद: इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग साइबर ठगी का शिकार हो गई। अपराधियों ने ईमेल आईडी में मामूली बदलाव कर कंपनी से 5.47 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। इस घटना की शिकायत कंपनी के अकाउंट मैनेजर डुम्पला श्रीहरि ने तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (TGCSB) में दर्ज कराई है। अपराधियों का पता लगाने और रकम वापस पाने के लिए जांच जारी है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
10 मई 2022 को मेघा इंजीनियरिंग ने एक डच कंपनी से उपकरण खरीदने के लिए 14.39 लाख यूरो का ऑर्डर दिया। 17 मई को 7.95 लाख यूरो का एक और ऑर्डर दिया गया। भुगतान के बाद, डच कंपनी के प्रतिनिधि से पुष्टि ईमेल भी प्राप्त हुए। लेकिन बाद में जब कंपनी को डच कंपनी से भुगतान की पुष्टि को लेकर एक ईमेल आया, तब संदेह हुआ।
ईमेल में मामूली बदलाव कर उड़ाए करोड़ों
29 नवंबर 2024 को मेघा इंजीनियरिंग को डच कंपनी से एक ईमेल मिला, जिसमें कहा गया था कि उनके मौजूदा बैंक खाते को कोर्ट के आदेश से फ्रीज कर दिया गया है और भविष्य के भुगतान के लिए नया खाता दिया गया। असल में यह ईमेल साइबर अपराधियों द्वारा भेजा गया था, जिसमें असली ईमेल आईडी से सिर्फ एक अक्षर अलग था। कंपनी को इसका पता नहीं चला और दिए गए नए खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
कब-कब ट्रांसफर हुए पैसे?
शिकायत के अनुसार, 24 जनवरी 2025 को कंपनी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) राजभवन शाखा से 3.18 लाख यूरो ठगों के खाते में ट्रांसफर किए। 29 जनवरी 2025 को 2.89 लाख यूरो और भेजे गए। 27 जनवरी को कंपनी को एक पुष्टिकरण ईमेल मिला, जिसके बाद जांच करने पर पता चला कि यह एक बड़ा साइबर घोटाला था। भारतीय मुद्रा में इस ठगी की कुल रकम 5.47 करोड़ रुपये आंकी गई।
इलेक्टोरल बॉन्ड में दूसरी सबसे बड़ी खरीदार
चुनाव आयोग के 1 मार्च 2024 को जारी आंकड़ों के अनुसार, मेघा इंजीनियरिंग ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने में दूसरा स्थान हासिल किया था। कंपनी ने कुल 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। इसमें से BJP को 586 करोड़ रुपये, BRS को 195 करोड़, DMK को 85 करोड़, VSRCP को 37 करोड़, TDP को 25 करोड़, कांग्रेस को 17 करोड़ और JD-S, जन सेना पार्टी व JDU को 5 से 10 करोड़ रुपये तक का चंदा दिया गया था।


































