वाराणसी: स्थानीय छात्रों ने मिलकर एक ऐसी रुद्राक्ष माला तैयार की है, जो AI तकनीक और GPS ट्रैकर से लैस है। इस माला के जरिए केवल 2-3 सेकंड में बिछड़े हुए परिजनों की लोकेशन प्राप्त की जा सकती है। यह अनोखा आविष्कार वाराणसी के युवा वैज्ञानिक श्याम चौरसिया के निर्देशन में छात्रों ने किया है।
महाकुंभ में बिछड़ने की समस्या का समाधान
प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। इस दौरान कई लोग अपने परिवार से बिछड़ रहे हैं। प्रशासन द्वारा खोया-पाया केंद्रों में दर्ज मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए आईटीएम गिड़ा कॉलेज के छात्रों ने यह महादेव रुद्राक्ष माला तैयार की है, जो खोए हुए लोगों को तुरंत खोजने में मदद करेगी।
रुद्राक्ष माला में लगा हाई-टेक GPS ट्रैकर
यह माला काशी की विश्वनाथ गली से खरीदी गई विशेष रुद्राक्ष से बनाई गई है। इसमें नैनो GPS ट्रैकर लगाया गया है, जिसकी नेशनल स्तर की रेंज क्षमता है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य राज्य में भी चला जाए, तो भी उसकी लोकेशन आसानी से ट्रैक की जा सकती है।
परिजनों तक लोकेशन भेजने में सक्षम
इस अनोखी रुद्राक्ष माला को अंशित कुमार श्रीवास्तव और यशिका सिंह ने विकसित किया है। अंशित के अनुसार, यह माला भीड़ में बिछड़ने वाले श्रद्धालुओं को अपने परिजनों तक पहुंचने में मदद करेगी। इसमें GPS नैनो चिप लगी है, जो इमरजेंसी के समय लोकेशन शेयर करने में सक्षम है।
कैसे काम करती है यह रुद्राक्ष माला?
अंशित श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने छोटे आकार का GPS ट्रैकर तैयार किया है, जिसे भगवान शिव के लॉकेट के रूप में माला में लगाया गया है। यह वाटरप्रूफ लॉकेट इमरजेंसी बटन से लैस है। यदि कोई व्यक्ति भीड़ में बिछड़ जाए, तो वह रुद्राक्ष के लॉकेट में लगे बटन को दबाकर अपनी लोकेशन अपने परिवार तक भेज सकता है।
चार्जिंग और बैटरी बैक
अपयशिका सिंह ने बताया कि इस रुद्राक्ष माला में लगे लॉकेट को केवल 2 घंटे चार्ज करने पर यह 4-5 दिनों तक कार्य कर सकता है। टीम जल्द ही इसे बाजार में उपलब्ध कराने की योजना बना रही है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके।कम लागत में बना अत्याधुनिक ट्रैकरइस माला को बनाने में 12 दिन लगे और कुल 900 रुपये का खर्च आया। इसे बनाने के लिए ब्लूटूथ मॉड्यूल, नैनो स्विच, 3-7 वोल्ट बैटरी और एंड्रॉइड ऐप का उपयोग किया गया है।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए वरदान
आईटीएम गिड़ा कॉलेज के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने बताया कि महाकुंभ में हर दिन करोड़ों श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। भीड़ के कारण कई लोग अपने परिवार से बिछड़ रहे हैं। ऐसे में यह GPS ट्रैकर युक्त माला एक क्रांतिकारी समाधान है, जिससे मोबाइल के जरिए Google लोकेशन से बिछड़े परिजनों को तुरंत ढूंढा जा सकता है।
छात्रों के इनोवेशन की सराहना
डॉ. एनके सिंह ने इस तकनीक की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह इनोवेशन तकनीक और आस्था का अनोखा संगम है। इससे महाकुंभ जैसे भव्य आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और वे अपने परिजनों से शीघ्र जुड़ सकेंगे।