पटना: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 जनवरी को संविधान सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लिया था और अब 5 फरवरी को जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल होने पटना आए। राहुल गांधी की यह राजनीतिक तत्परता पहले के मुकाबले काफी ज्यादा दिखाई दे रही है।
राजनीतिक यात्रा का पुराना इतिहास
राहुल गांधी पहले भी विभिन्न राजनीतिक दौरे करते रहे हैं, जैसे कि भट्टा परसौल, किसान यात्रा और दलितों के घरों तक जाना, जो सुर्खियों में रहते थे। मगर, अब उनका बार-बार बिहार दौरा इस बात को स्पष्ट करता है कि वह आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं।
दिलचस्प है बार-बार बिहार आना
राहुल गांधी का बार-बार बिहार आना खासा महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। खासतौर पर दिल्ली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में कांग्रेस का दृष्टिकोण देखकर यह कहा जा सकता है कि बिहार चुनाव तक INDIA गठबंधन की स्थिति स्थिर नहीं रह सकती है।
दलित, मुस्लिम और ओबीसी वोटरों पर नजर
राहुल गांधी का जगलाल चौधरी की जयंती में शामिल होना कोई साधारण बात नहीं है। जगलाल चौधरी, जो कांग्रेस के दलित नेता थे, ने बिहार में शराबबंदी लागू करने का श्रेय पाया। उनके नाम पर कांग्रेस का यह कार्यक्रम, और उसमें राहुल गांधी का शामिल होना, दिखाता है कि कांग्रेस दलित वोटों को साधने की कोशिश कर रही है। साथ ही, ओबीसी वोटों के लिए भी राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की मुहिम चला रखी है, जिससे उनका एक स्पष्ट उद्देश्य प्रतीत होता है।
कांग्रेस की रणनीति में बदलाव
अगर कांग्रेस की रणनीति पर गौर करें, तो यह स्पष्ट हो रहा है कि वह अब क्षेत्रीय दलों के पिछलग्गू बनने की बजाय खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर कई दलों के बीच विवाद है, लेकिन राहुल गांधी की यह रणनीति आगामी चुनावों में असर दिखा सकती है।
क्या कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी?
दिल्ली में कांग्रेस का प्रयास अकेले चुनाव लड़ने का है, और ऐसा लग रहा है कि बिहार में भी उसकी यही रणनीति होगी। बिहार में कांग्रेस का असर बढ़ाने के लिए लालू यादव और तेजस्वी यादव को चुनौती दी जा सकती है, जैसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी को ममता बनर्जी और अखिलेश यादव का समर्थन मिला था।
संगठन में परिवर्तन की संभावना
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को लेकर पार्टी में कई असंतोष की बातें सामने आ रही हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि यह विरोध उनके लिए नुकसानदेह साबित हो। महाराष्ट्र और पंजाब में भी ऐसे ही बदलाव देखे गए थे। इसके साथ ही, कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को पार्टी में और जिम्मेदारी देने की योजना बन रही है, जिससे बिहार में कांग्रेस को एक नया मोर्चा मिल सकता है।
राहुल गांधी का दूसरा बिहार दौरा
राहुल गांधी ने 19 दिनों में बिहार का दूसरा दौरा किया। एयरपोर्ट से सीधे कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद खान के घर पहुंचे, जहां उन्होंने शकील अहमद के परिवार के साथ एक घंटा बिताया। शकील अहमद के बेटे के आत्महत्या के बाद राहुल गांधी ने उनसे मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। इस दौरान एनडीए सांसद उपेन्द्र कुशवाहा और कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन भी उनके साथ मौजूद रहे।
इस बार बिहार दौरे में राहुल गांधी ने प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता का संकेत दिया है, जो आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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