दुमका: रविवार को झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) का 46वां स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, उनके भाई और दुमका विधायक बसंत सोरेन, सांसद और अन्य नेताओं ने भारी जनसमूह को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में जहां एक ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, वहीं उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसंत सोरेन ने राज्य के बकाए को लेकर आंदोलन की घोषणा की।

कल्पना सोरेन का ‘हूल’ का आह्वान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन ने जनसभा में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया केंद्र सरकार से जल्द हासिल किया जाएगा, और इसके लिए लोगों को ‘हूल’ यानी आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि झारखंड की धरती हमेशा से संघर्ष और आंदोलन की भूमि रही है, और इस राज्य का संघर्ष कभी थमा नहीं है।

कल्पना ने झारखंड की ऐतिहासिक धारा को याद करते हुए कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई थी और पृथक झारखंड राज्य की मांग के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहा कि आज भी राज्य की खनिज संपदा पर केंद्र सरकार की नजरें हैं, और वह इसे लूटने का प्रयास कर रही है। कल्पना ने यह भी आरोप लगाया कि जब डबल इंजन की सरकार थी, तब राज्य के संसाधनों का बहुत शोषण हुआ।

हेमंत सोरेन का केंद्र सरकार पर हमला

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मौके पर केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राज्य की खनिज संपदा और रेलवे राजस्व से केंद्र सरकार को भारी मुनाफा होता है, लेकिन फिर भी झारखंड को कुछ नहीं मिलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का बजट झारखंड के लिए बिल्कुल भी सहायक नहीं है, बल्कि यह पूंजीपतियों के पक्ष में है।

हेमंत ने कहा, “केंद्र सरकार ने जो आयकर में छूट दी है, उससे राज्य के गरीब लोगों को क्या फायदा मिलेगा? बजट में जो प्रोत्साहन खिलौना बनाने वाली कंपनियों को दिया गया है, वे कंपनियां अडानी और अंबानी की हैं, जिनका सीधा लाभ उनके व्यापारिक मित्रों को होने वाला है।”

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्य के खनिजों का उपयोग तो कर रही है, लेकिन झारखंड के लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि नीति आयोग की रिपोर्ट में झारखंड का नाम आर्थिक प्रबंधन में चौथे स्थान पर था, जो इस बात का संकेत है कि राज्य में अब तक काफी विकास हुआ है।

मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज को संबोधित किया

हेमंत सोरेन ने मंच से आदिवासी समाज के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि असम में झारखंड के 20 प्रतिशत आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, लेकिन उन्हें वहां आदिवासी का दर्जा नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने संथाली भाषा में यह घोषणा की कि, “यदि देश के किसी भी कोने में आदिवासी समाज के लोग रह रहे हैं, तो आप यहां आइए, हम आपको झारखंड में बसाने के लिए तैयार हैं।”

बसंत सोरेन का कड़ा संदेश: बकाया राशि की वसूली के लिए कोई समझौता नहीं

दुमका विधायक बसंत सोरेन ने इस मौके पर कहा कि केंद्र सरकार झारखंड का बकाया देने में टालमटोल कर रही है, लेकिन वे यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि राज्य अपना हक लेने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस बकाया राशि को नहीं देती, तो राज्य के खनिज पदार्थों को बाहर जाने नहीं दिया जाएगा।

राजमहल और दुमका सांसदों का बयान: झारखंड की उपेक्षा पर सवाल

दुमका सांसद नलिन सोरेन ने कार्यक्रम में कहा कि झारखंड राज्य के संघर्ष के बाद प्राप्त हुआ है और यह महागठबंधन की सरकार के भरोसेमंद कामकाजी प्रबंधन का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जनता का विश्वास जीतते हुए वे राज्य के विकास को आगे बढ़ाएंगे। वहीं, राजमहल सांसद विजय हांसदा ने भी केंद्र सरकार की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि इस बार के बजट में झारखंड के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है।

विधायक आलोक सोरेन और लुइस मरांडी का भी बयान

दुमका के शिकारीपाड़ा के विधायक आलोक सोरेन ने राज्य के आदिवासी समुदाय के शोषण की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन की लूट हो रही थी, तब दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने यह उम्मीद जगाई थी कि झारखंड अलग राज्य बनेगा। उन्होंने बताया कि हम सभी पर जिम्मेदारी है कि हम झारखंड को एक उन्नत और समृद्ध राज्य बनाएं।

वहीं, दुमका के जामा क्षेत्र की विधायक लुइस मरांडी ने भी राज्य में महिलाओं को सम्मान देने की दिशा में किए गए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जबकि एनडीए ने महिला सम्मान को कोर्ट में चैलेंज किया, हेमंत सोरेन ने महिलाओं के हक के लिए कदम उठाए हैं।

सारांश: राज्य की उपेक्षा पर केंद्र सरकार की आलोचना

झामुमो के 46वें स्थापना दिवस पर नेताओं ने एक स्वर में राज्य के अधिकारों की रक्षा की बात की और केंद्र सरकार के रवैये की आलोचना की। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने आंदोलन की बात की, जबकि विधायक बसंत सोरेन ने राज्य का खनिजों पर अधिकार जताया। इस कार्यक्रम के माध्यम से झारखंड के नेताओं ने केंद्र से बकाया राशि की वसूली के लिए अपने संघर्ष की घोषणा की, जो अब एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।

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