पटना: बिहार विधान परिषद की खाली हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार ललन प्रसाद ने गुरुवार को अपना नामांकन दाखिल किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों डिप्टी सीएम, और एनडीए के अन्य प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में ललन प्रसाद ने बिहार विधानमंडल पहुंचकर अपना नॉमिनेशन भरा।

दरअसल, आरजेडी के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई विधान परिषद की सीट अब एनडीए में जेडीयू के खाते में आई है। एनडीए ने इस सीट के लिए ललन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। ललन प्रसाद शेखपुरा के निवासी और जदयू के मजबूत नेता हैं। वह छात्र जीवन से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ राजनीति में सक्रिय रहे हैं। ललन प्रसाद अति पिछड़ा समाज से आते हैं और धानुक जाति के हैं।

ललन प्रसाद का राजनीतिक सफर

52 वर्षीय ललन प्रसाद जदयू के स्थापना काल से पार्टी से जुड़े हुए हैं। समता पार्टी के गठन से लेकर अब तक, वह पूरी निष्ठा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी और संगठन के लिए काम करते रहे हैं। ललन प्रसाद तीन बार जिला पार्षद रह चुके हैं और उनकी छवि एक ईमानदार नेता के रूप में उभरी है। एनडीए ने सर्वसम्मति से उन्हें विधान परिषद उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। 9 जनवरी को सीएम नीतीश कुमार और अन्य गठबंधन नेताओं की उपस्थिति में ललन प्रसाद ने अपना नामांकन दाखिल किया।

नामांकन के बाद ललन प्रसाद का बयान

नामांकन दाखिल करने के बाद एनडीए उम्मीदवार ललन प्रसाद ने कहा कि यह उनके लिए बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जिस अति पिछड़ा समाज से वह आते हैं, उस समाज के लोग आज भी संविधान से पूरी तरह परिचित नहीं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किए गए कार्यों और उनके विकास योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी नहीं मिल पाती है। ललन प्रसाद ने यह भी कहा कि वह नीतीश कुमार के कामों को गांव-गांव तक पहुंचाएंगे, ताकि अति पिछड़ा समाज को उनका हक और सम्मान मिल सके।

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