पटना: शुक्रवार की सुबह बिहार में एक अहम सियासी घटनाक्रम ने हलचल मचा दी जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के करीबी हुलास पांडेय के कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई के बाद अब एक नया खुलासा हुआ है कि बिहार सरकार के एक मंत्री के करीबी भी इस मामले में शामिल हैं। इसके साथ ही, हुलास पांडेय को ईडी द्वारा समन भी भेजा गया है।

बालू सिंडिकेट में नए खुलासे और संदिग्ध कागजात

पूर्व एमएलसी और लोजपा (आर) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडेय के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी के बाद बालू के अवैध खनन सिंडिकेट से जुड़ी कई नई जानकारियाँ सामने आई हैं। पांडेय के पटना स्थित दोनों ठिकानों से कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए, जिसमें एक अन्य कंपनी का नाम सामने आया है, जो बालू कारोबार में शामिल है।

इसके अलावा, कुछ अन्य दस्तावेजों से यह जानकारी मिली है कि एक और कंपनी अवैध बालू खनन सिंडिकेट में शामिल होकर काले धन की कमाई कर रही थी। इन साक्ष्यों के आधार पर, ईडी ने इस कंपनी की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है। इन दस्तावेजों में इस कंपनी के दो निदेशकों और हुलास पांडेय के साथ लेन-देन के कई विवरण सामने आए हैं। यह भी पता चला है कि इस कंपनी के निदेशक बिहार सरकार के एक मंत्री के करीबी हैं।

हुलास पांडेय को ईडी का समन और पूछताछ की योजना

साक्ष्यों के सामने आने के बाद, ईडी ने हुलास पांडेय को समन भेजकर अगले सप्ताह पूछताछ के लिए बुलाया है। पूछताछ पटना स्थित ईडी के कार्यालय में होगी, जिसमें पांडेय से अवैध बालू सिंडिकेट से उनकी मिलीभगत और 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के बारे में सवाल किए जाएंगे। इसके साथ ही अन्य लोगों से भी समन जारी कर पूछताछ की तैयारी की जा रही है।

बालू खनन में ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारियां

हुलास पांडेय के ठिकानों पर छापेमारी से यह जानकारी भी सामने आई कि बिहार में बालू के अवैध खनन से जुड़े कई बड़े नामों पर दबिश दी गई थी। ईडी ने इस मामले में कई प्रमुख बालू कारोबारियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एमएलसी राधाचरण सेठ, सुभाष यादव (लालू परिवार के करीबी), जगनारायण सिंह और पूंज सिंह शामिल हैं।

चिराग पासवान और हुलास पांडेय के संबंध

हुलास पांडेय एलजेपी (रामविलास) के एक महत्वपूर्ण नेता हैं और चिराग पासवान के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते हैं। ईडी की रेड को इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है कि क्या यह केंद्र सरकार द्वारा चिराग पासवान पर दबाव डालने की कोशिश हो सकती है, खासकर तब जब बीजेपी के साथ उनकी राजनीति में टकराव बढ़ चुका है।

चर्चाएँ यह भी हैं कि क्या चिराग पासवान को निशाना बनाने के लिए ही हुलास पांडेय के ठिकानों पर कार्रवाई की गई है, क्योंकि उनकी कई टिप्पणियाँ बीजेपी के लिए असहज रही हैं। हाल ही में 25 दिसंबर को दिल्ली में एनडीए नेताओं की बैठक में चिराग पासवान का न होना भी इस चर्चा को बल देता है।

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