बिहार सरकार ने मुझे झूठे केस में फंसाया- पीड़ित दंपती
नीतीश सरकार पर राज्य में लगातार अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप विपक्ष लगाता रहा है। लेकिन नीतीश सरकार आरजेडी के आरोपों पर पलटवार करते हुए लालू के शासन काल को जंगल राज बताने से जरा भी गुरेज नहीं करती। लेकिन नीतीश सरकार में पुलिस अधिकारी किस तरह अपराध में लिप्त हैं, इसका खुलासा सीआईडी जांच की रिपोर्ट में हुआ है।
जानकारी के मुताबिक अगमकुंआ थाना कांड संख्या-503/2018 को लेकर हुई सीआईडी जांच की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि केस पूरी तरह फर्जी है। और आईपीएस राजीव रंजन (आईजी,आधुनिकीकरण) ने अपने भाई के श्वसुर डॉ महेश्वर प्रसाद के माध्यम से दो निर्दोष लोगों को झूठे केस में फंसाया है।
पीड़िता के आवेदन पर हुई सीआईडी जांच
पीड़ित दंपती ने बताया कि आईपीएस राजीव रंजन के खिलाफ हैदराबाद में Attempt to Rape का केस दर्ज कराया गया था, जिससे बचने के लिए राजीव रंजन ने अपने पद की शक्ति व प्रभाव से अगमकुंआ थाना में पीड़िता के खिलाफ 25 लाख रुपए रंगदारी मांगने का झूठा केस दर्ज कराया। और पीड़िता को गिरफ्तार कर लिया। और पटना के बेऊर जेल भिजवा दिया। इस साज़िश में अगमकुंआ थाना प्रभारी अशोक कुमार पाण्डेय, एसआई विजय कुमार सिंह, महिला एसआई मालती देवी शामिल थे। जिनके खिलाफ सीआईडी ने पटना पुलिस को कार्रवाई के लिए लिखा है, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मुख्यमंत्री के आदेश से हुई सीआईडी जांच
पीड़िता ने बताया कि जेल से निकलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जांच के लिए आवेदन दिया। मुख्यमंत्री को दिए आवेदन जिसका पंजीयन संख्या-2018060123 है, जिसके बाद पूरे मामले की सीआईडी जांच हुई, 400 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट में राजीव रंजन समेत कई लोग दोषी पाए गए हैं।
दोषियों को बचाते रहा गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय
2021 में सीआईडी जांच की रिपोर्ट आने के बाद भी अबतक गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे दोषी पुलिस अधिकारियों को प्रोमोशन दिया गया। इससे साफ है कि नीतीश सरकार निर्दोष को फंसाती भी है और दोषियों को बचाती भी है। क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 50 से भी ज्यादा आवेदन देने के बाद भी दोषियों पर अबतक कार्रवाई नहीं हुई है।

स्टेट ऑफ बिहार थ्रू महेश्वर प्रसाद के नाम से दर्ज है झूठा केस
पीड़ित ने बताया कि स्टेट ऑफ बिहार थ्रू महेश्वर प्रसाद के नाम से अगमकुंआ थाना में फर्जी केस दर्ज है। जिसको लेकर सीआईडी जांच हुई है। लेकिन पीड़ित को मिले सीआईडी जांच की रिपोर्ट में पटना पुलिस को दोषियों पर कार्रवाई के लिए लिखे जाने के बाद भी अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

पुलिस मुख्यालय, गृह विभाग और मुख्यमंत्री सचिवालय में मामला लंबित
पीड़िता के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश के बाद पूरे मामले की सीआईडी जांच कराई गई और वो रिपोर्ट फिलहाल डीजीपी कार्यालय और गृह विभाग और मुख्यमंत्री सचिवालय में लंबित है, इतना ही नहीं, पीड़ित ने लोक शिकायत विभाग में भी आवेदन दिया, जहां कई तारीखों में सुनवाई हुई, और दोषी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई के लिए अनुशंसा की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अगमकुंआ थाने पर गंभीर आरोप
सीआईडी जांच में आईपीएस राजीव रंजन के अलावा अगमकुंआ के तत्कालीन थानाध्यक्ष अशोक कुमार पांडेय, केस के आईओ विजय कुमार सिंह समेत कई लोग दोषी ठहराए गए हैं।

चार सौ से ज्यादा पन्नों की सीआईडी जांच रिपोर्ट
चार सौ से ज्यादा पन्नों की सीआईडी जांच रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी राजीव रंजन की करतूतों का काला चिट्ठा बंद है। पीड़िता का कहना है कि आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन ने अपने पद का दुरूपयोग कर उन्हें और उनके पति को फंसाया और प्रताड़ित किया। उन्हें और उनके पति को झूठे केस में फंसाकर पांच महीने के लिए बेउर जेल भिजवा दिया। बाद में हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद दोनों बाहर निकले। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें और उनके पति को काफी सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक पीड़ा झेलने को मजूबर होना पड़ा। पीड़ित का कहना है कि सरकार के कुछ मंत्री और कुछ भ्रष्ट अधिकारी दोषियों को बचाने में लगे हैं।
आरोपी आईपीएस अधिकारी पुलिस मुख्यालय में तैनात
पीड़िता का कहना है कि बांका के एसपी रहे चुके और वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक, आधुनिकीकरण, पुलिस मुख्यालय पटना में तैनात प्रोमोटी आईपीएस अधिकारी राजीव रंजन ने अपने पद का दुरूपयोग कर उसके परिवार को तबाह कर दिया और वो पिछले पांच साल से न्याय की गुहार लगा रही है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
सीएम नीतीश से न्याय की गुहार रहा पीड़ित दंपती
दोषी पुलिस अधिकारी राजीव रंजन और अन्य पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के लिए पीड़ित दंपती ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, एडीजी पुलिस मुख्यालय समेत तमाम बड़े अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है।