पटना: सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शिक्षा विभाग नए प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में हर माह अनिवार्य रूप से अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को कहा गया है कि वे हर महीने अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें संगोष्ठी में शामिल होने का आमंत्रण दें।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने भेजा आदेश
प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी आयोजित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानाध्यापक प्रत्येक माह की शुरुआत में ही संगोष्ठी की तिथि तय करें और इसकी जानकारी सभी अभिभावकों तक पहुंचाएं। बड़े स्कूलों में कक्षा 1 से 5 और 6 से 8 के लिए अलग-अलग तिथियां तय की जाएं। प्रधानाध्यापक यह सुनिश्चित करें कि सभी अभिभावकों को फोन कॉल के जरिए और शिक्षक व्यक्तिगत संपर्क कर आमंत्रण दें।
संगोष्ठी में अभिभावकों की भागीदारी अनिवार्य
संगोष्ठी के दिन अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ स्कूल आना होगा। उनकी बैठने की व्यवस्था कक्षा में होगी। अपनी बारी पर अभिभावक कक्षा शिक्षक के साथ बच्चे की प्रगति पर चर्चा करेंगे। संगोष्ठी का पंजीकरण होगा और प्रत्येक चर्चा का सारांश पंजी में दर्ज किया जाएगा।
चर्चा के 10 प्रमुख बिंदु
1. विद्यालय में उपस्थिति: बच्चों की उपस्थिति बेहतर बनाने के उपायों पर चर्चा।
2. स्वच्छता पर ध्यान: बच्चों के स्वच्छता और आचरण पर बातचीत।
3. स्कूल यूनिफॉर्म: स्कूल ड्रेस के महत्व पर चर्चा।
4. प्रगति आकलन: बच्चों के परिणाम साझा करना।
5. गणितीय कौशल: बच्चों के गणित कौशल पर सुझाव।
6. हिंदी-अंग्रेजी पढ़ाई: बच्चों से रोज 1 घंटे जोर से हिंदी और अंग्रेजी पढ़ने की आदत डालने की सलाह।
7. गृहकार्य की निगरानी: अभिभावकों से पूछें कि बच्चा गृहकार्य पूरा करता है या नहीं।
8. साफ कपड़े: बच्चों को साफ-सुथरे कपड़े पहनाकर भेजने पर चर्चा।
9. आचरण सुधार: बच्चों के अनुशासन और व्यवहार पर ध्यान।
10. अभिभावकों की भागीदारी: अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना।
शिक्षा विभाग का मानना है कि इन प्रयासों से विद्यालयों में शिक्षा का स्तर और माहौल बेहतर होगा।