पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य में लागू शराबबंदी कानून के नकारात्मक प्रभावों पर विचार करते हुए कहा कि इससे कई नई समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस कानून की कई खामियाँ सामने आई हैं।

कोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत राज्य का कर्तव्य नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए राज्य ने बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 को लागू किया। हालांकि, कई कारणों से इस कानून में कई त्रुटियाँ और कमियाँ उत्पन्न हुई हैं।

शराबबंदी के परिणामस्वरूप बढ़ा अवैध व्यापार

पटना हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि शराबबंदी ने अवैध शराब और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के व्यापार को बढ़ावा दिया है। इससे कानून लागू करने वाली एजेंसियों को धोखा देने के लिए नए तरीके विकसित किए गए हैं। इससे न सिर्फ तस्करी को बढ़ावा मिला, बल्कि इसे रोकने वाली संस्थाओं की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हुई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस, उत्पाद शुल्क अधिकारी, राज्य कर विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारी भी शराबबंदी से मोटी कमाई के कारण इस कानून को लागू करने में लापरवाह हो सकते हैं।

गरीबों पर कानून का दुष्प्रभाव

कोर्ट ने यह भी कहा कि शराबबंदी के खिलाफ जो मामले दर्ज होते हैं, वे गरीबों और अवैध शराब पीने वालों के खिलाफ होते हैं, जबकि शराब माफिया और सिंडिकेट संचालकों के खिलाफ कम ही मामले दर्ज होते हैं। इस कानून का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव राज्य के गरीब लोगों पर पड़ रहा है, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और शराब की तस्करी के जरिए उनके जीवनयापन का सहारा बनता है।

जहरीली शराब से होने वाली मौतें

दूसरी ओर, सीवान जिले के लकड़ी नबीगंज इलाके में जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह लोग जहरीली शराब पीने के बाद मरे हैं। थाना प्रभारी अजित कुमार सिंह ने बताया कि तीन मौतों की सूचना मिली है और मामले की जांच की जा रही है। इसी क्षेत्र में दो और लोग जहरीली शराब के कारण गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं, जिनमें से एक की आंखों की रोशनी चली गई है और दूसरे का इलाज चल रहा है।

जहरीली शराब से हुई मौतों की लम्बी सूची

मृतकों में से एक, अमरजीत यादव, की सीवान सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि उमेश राय को गंभीर हालत में पटना के पीएमसीएच रेफर किया गया। उमेश राय ने बताया कि उसने 50 रुपए की सादा शराब पी थी, जिसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। अक्टूबर में भी सीवान, छपरा और गोपालगंज जिलों में जहरीली शराब पीने से 62 लोगों की मौत हो गई थी, हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 37 मौतों की ही पुष्टि हुई थी।

शराबबंदी कानून पर सवाल

इन घटनाओं ने एक बार फिर शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा किया है। बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। यह घटना बिहार में पूर्ण शराबबंदी की प्रभाविता पर एक गहरी चिंता पैदा करती है।

पुलिस जांच में जुटी

पुलिस मौके पर पहुँचकर मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जहरीली शराब कहां से आई और इस अवैध व्यापार में कौन-कौन शामिल हैं। शराबबंदी कानून के बावजूद इस तरह की घटनाएँ राज्य की कानून-व्यवस्था और शराबबंदी की वास्तविक स्थिति को उजागर करती हैं।

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