पटना: दिवाली के बाद अब बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मनाया जाने वाला छठ पूजा का पर्व शुरू हो गया है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। इस चार दिनी त्योहार में भक्त उपवास रखते हैं और सूर्य देवता को जीवन देने के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं। इस साल यह पर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक मनाया जाएगा और इसका प्रारंभ आज नहाय-खाय के साथ हो चुका है।
सीएम नीतीश कुमार ने बिहारवासियों को दी शुभकामनाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोक आस्था के इस महापर्व पर बिहार और देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। सीएम ने छठ पर्व की तैयारियों का जायजा लिया और बीते शाम दीघा व जेपी सेतु घाट पर सफाई और सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण किया। साथ ही, गंगा आरती का उद्घाटन भी किया।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यह पर्व आत्म अनुशासन का प्रतीक है, जिसमें लोग शुद्ध मन से अस्ताचल और उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। उन्होंने भगवान सूर्य से राज्य की प्रगति, समृद्धि, शांति और सौहार्द्र के लिए प्रार्थना की और राज्यवासियों से अपील की कि वे इस महापर्व को आपसी प्रेम और शांति के साथ मनाएं।
सीएम नीतीश कुमार के परिवार के लोग छठ व्रत करते हैं
जानकारी के अनुसार, हर साल सीएम नीतीश कुमार के परिवार के लोग छठ व्रत करते हैं। पिछली बार मुख्यमंत्री आवास पर छठ पूजा हुई थी, जिसमें सीएम की भाभी, बहन और परिवार के अन्य सदस्य शामिल हुए थे। इस बार भी मुख्यमंत्री आवास पर छठ पूजा धूमधाम से होगी, और राज्य के कई मंत्री भी अपने घरों में पूजा करेंगे।
कैसे मनाई जाती है छठ पूजा?
छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ होता है, जब व्रती स्नान करने के बाद सादा भोजन करती हैं। इस दिन व्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल (भात) तैयार कर पूजा करती हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करती हैं। साथ ही, घर के अन्य सदस्य और पड़ोसियों को भी प्रसाद दिया जाता है।
दूसरे दिन ‘खरना’ होता है, जिसमें व्रती दिनभर उपवास रखकर सूर्यास्त के बाद रोटी और खीर का प्रसाद ग्रहण करती हैं। यह भोजन आमतौर पर केले के पत्ते पर किया जाता है, और भोजन को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से पकाया जाता है। स्वच्छता का खास ध्यान रखा जाता है, और खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में व्रती कई महीने पहले से इस पर्व की तैयारी शुरू कर देती हैं।
तीसरे दिन, व्रती शाम को नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। अगले दिन सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अनुष्ठान जीवन की निरंतरता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से निःसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति होती है और असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति भी स्वस्थ हो जाते हैं।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा बिहारवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व में कोई पुजारी नहीं होता, और कोई भी व्यक्ति इसे श्रद्धा से कर सकता है। इस दिन सूर्य देवता, जो पृथ्वी के जीवनदायिनी स्रोत हैं, की पूजा की जाती है।