पटना: पटना उच्च न्यायालय ने शस्त्र लाइसेंस से जुड़े मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अब सिर्फ एफआईआर(FIR) की मौजूदगी में किसी का शस्त्र लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकल पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया।
एफआईआर के आधार पर नहीं हो सकता लाइसेंस कैंसिल
सुपौल के जिलाधिकारी ने एक व्यक्ति का आर्म्स लाइसेंस रद्द किया था, और इसी मामले की सुनवाई पटना हाईकोर्ट में हुई। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि केवल एफआईआर के आधार पर किसी व्यक्ति का लाइसेंस रद्द करना अवैध है।
पूरा मामला
न्यायाधीश मोहित कुमार शाह ने सुनील कुमार सिन्हा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुपौल के डीएम के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता का लाइसेंस महज एफआईआर के आधार पर रद्द किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एफआईआर का होना एक आपराधिक मामले की लंबित स्थिति नहीं है।
सुपौल डीएम ने लाइसेंस रद्द करते समय यह कहा था कि एफआईआर होना एक आपराधिक मामले की लंबित स्थिति के बराबर है, इसलिए उस व्यक्ति को लाइसेंसधारी हथियार रखने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता ने इस आदेश के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील की थी।
कोर्ट ने डीएम के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि इस मामले में न तो पुलिस ने चार्जशीट दायर की है और न ही ट्रायल कोर्ट ने संज्ञान लिया है, इसलिए यह लाइसेंस के लिए अयोग्यता नहीं हो सकती। अदालत ने मेवा लाल चौधरी बनाम भारत सरकार के मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि एफआईआर के आधार पर पासपोर्ट जब्त करना भी अवैध माना गया था। न्यायालय ने माना कि सिर्फ आपराधिक मामले की लंबित स्थिति के कारण याचिकाकर्ता का शस्त्र लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता।