पटना: बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य और राजद नेता सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने के कारण हो रहे उपचुनाव को सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद स्थगित किया जा सकता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है और इस पर 9 जनवरी को अहम निर्णय देने का फैसला किया है।
9 जनवरी को आने वाला निर्णय
सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव के लिए आज (सोमवार) को अधिसूचना जारी कर दी गई थी। इसके साथ ही नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, और नामांकन की आखिरी तारीख 13 जनवरी रखी गई है। हालांकि, इसी दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनील सिंह की याचिका पर सुनवाई भी हुई। कोर्ट ने इस मामले में 9 जनवरी को अंतिम निर्णय लेने का संकेत दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और अहम टिप्पणी
आरजेडी के पूर्व विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह ने अपनी सदस्यता रद्द करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने की। कोर्ट में सुनील सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि उनकी सदस्यता रद्द करने पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई थी, लेकिन इस बीच चुनाव प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया।
चुनाव टालने की सुप्रीम कोर्ट की सलाह
अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि चुनाव को टाल देना चाहिए, क्योंकि यदि चुनाव प्रक्रिया जारी रहती है तो याचिका बेकार हो जाएगी। जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता (सुनील कुमार सिंह) पर केवल एक आरोप है कि उन्होंने एक विशेष शब्द का उपयोग किया। इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस शब्द का प्रयोग संसद में भी कई नेताओं द्वारा किया गया है, जहां इस पर अधिक स्वतंत्रता होती है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि असहमत होते हुए भी विरोध को सम्मानजनक तरीके से किया जाना चाहिए। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके क्लाइंट (सुनील कुमार सिंह) को परमानेंटली निष्कासित कर दिया गया है, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। इसके बाद बेंच ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 जनवरी की तारीख तय की। इस दिन सुनील कुमार सिंह की सदस्यता रद्द होने और उपचुनाव पर अंतिम निर्णय हो सकता है।
सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने की वजह
बता दें कि पिछले साल जुलाई में सुनील कुमार सिंह की विधान परिषद की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने 13 फरवरी 2024 को राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री की थी और उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद जेडीयू के एमएलसी भीष्म सहनी ने आचार समिति में याचिका दायर कर कार्रवाई की मांग की थी।
आचार समिति और सदस्यता रद्द का फैसला
विधान परिषद की आचार समिति के अध्यक्ष और उप सभापति प्रोफेसर रामवचन राय ने जुलाई 2024 में रिपोर्ट सौंपते हुए आरोपों को सही करार दिया था और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके बाद सभापति अवधेश नारायण सिंह ने प्रस्ताव दिया था कि सुनील सिंह की सदस्यता रद्द की जाए, जो सदन में बहुमत से पारित हो गया। इसके खिलाफ सुनील कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।