रांची/झारखंड: झारखंड में नगर निकाय चुनाव का इंतजार लंबा खिंच चुका है, और अब सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट करवाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। कई नगर निकाय क्षेत्रों में BLO (बूथ लेवल अधिकारी) को ओबीसी का भौतिक सत्यापन करने का काम सौंपा गया है। हालांकि, रांची नगर निगम के निवर्तमान पार्षद और भाजपा नेता इसे सिर्फ एक दिखावा मानते हैं।

ओबीसी ट्रिपल टेस्ट के बहाने चुनाव में देरी?

रांची के वार्ड 26 के निवर्तमान पार्षद अरुण कुमार झा का कहना है कि राज्य सरकार को लगता है कि शहरी स्थानीय निकाय (ULB) चुनाव कराना कठिन हो गया है। 2020 से 12 निकाय क्षेत्रों में 5 साल से चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि बाकी में 2 साल से। सरकार ओबीसी ट्रिपल टेस्ट का बहाना बना रही है, जबकि रांची नगर निगम में यह प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि ओबीसी आयोग के गठन के बिना कैसे चुनाव संभव होगा। अरुण झा का मानना है कि यह सब केवल उच्च न्यायालय में अपनी स्थिति पेश करने के लिए किया जा रहा है।

निकाय चुनाव को टालने की कोशिश कर रही है सरकार – कमाल खान

झारखंड भाजपा नेता कमाल खान का आरोप है कि सरकार में शामिल दल नगर निकाय चुनाव नहीं कराना चाहते, क्योंकि उन्हें चुनाव में हार का डर है। उनका कहना है कि राज्य में ओबीसी आयोग का गठन न होने से चुनाव कराने में समस्याएं आ रही हैं, और यह एक बड़ा सवाल है।

झामुमो ने दी सफाई, विपक्ष का आरोप निराधार – मनोज पांडेय

झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने भाजपा और विपक्षी नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार काम किया है। उनका कहना था कि सरकार ओबीसी को आरक्षण देने के साथ ही चुनाव भी कराएगी, और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन जल्द ही किया जाएगा।

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