रांची/झारखंड: पात्र वही रहते हैं, लेकिन समय के साथ उनकी भूमिकाएँ बदल जाती हैं। पांच महीने पहले जब ईडी ने हेमंत सोरेन पर शिकंजा कसा था तो सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकर्ताओं ने राजभवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. राजधानी का यह वीआईपी इलाका कई दिनों तक भारी सुरक्षा के घेरे में रहा. गुरुवार को स्थिति बदल गयी. जब राजभवन में हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड का नेतृत्व किया तो इन समर्थकों का उत्साह चरम पर पहुंच गया था. उन्होंने खूब आतिशबाजी की. इस दौरान लड्डू भी बांटे गए।
रौ में लौटे हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन की जेल से वापसी के एक सप्ताह के भीतर घटनाक्रम कुछ इस कदर बदला कि वे सीएम की कुर्सी संभालने के साथ-साथ अपनी रौ में पूरी तरह वापस लौट आए हैं। इससे न सिर्फ उनकी पार्टी में बल्कि गठबंधन के अन्य सहयोगियों में भी उत्साह है. गठबंधन विधायकों की संयुक्त बैठक में कांग्रेस ने आम सहमति बनाने से लेकर राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करने तक हर मामले में हेमंत सोरेन का समर्थन किया. इसका मुख्य कारण विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापस लौटने का दबाव है। हेमंत सोरेन के समक्ष कोई चुनौती नहीं है।
हेमंत के चेहरे पर लड़ा जाएगा विधानसभा चुनाव
गठबंधन पिछले विधानसभा चुनाव की तरह उनके चेहरे को आगे कर ही चुनाव लड़ेगा। उनके फिर से सत्ता संभालने से कांग्रेस में उत्साह की बड़ी वजह लोकसभा चुनाव का परिणाम है। कांग्रेस का आकार दोगुना हो गया और झामुमो के हिस्से में भी तीन सीटों का इजाफा हुआ। पांचों आदिवासी ठिकानों पर कब्जे के पीछे हेमंत सोरेन की जेल से उपजी सहानुभूति को भी मुख्य कारण के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में हेमंत सोरेन की मौजूदगी आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के दलों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है। सत्ता हस्तांतरण में भी कांग्रेस की सक्रियता इसी वजह से दिखी। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर यहां जमे रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी हर कदम पर हेमंत सोरेन के साथ दिखे।
BJP ने 2 कद्दावर नेताओं को दी बड़ी जिम्मेदारी
यह भी उल्लेखनीय है कि BJP के शीर्ष नेतृत्व ने आगामी विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2024) के लिए अपने दो कद्दावर नेताओं शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा को जिम्मा सौंपकर गठबंधन को सतर्क कर दिया है। दोनों ने यहां जमीनी स्तर पर कार्य भी शुरू कर दिया है। ऐसे में गठबंधन में हेमंत सोरेन के फिर सत्ता संभालकर पूरी तरह एक्शन में आने से गठबंधन में नए उत्साह का संचार हुआ है।
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