पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में सभी वर्गों के मतदाताओं को साधने के लिए महागठबंधन कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है। महागठबंधन ने एक तरफ जहां माई-बहिन योजना के जरिए बिहार की महिलाओं को लुभाने की कोशिश की है, वहीं बुधवार को आयोजित “अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” कार्यक्रम के जरिए अति पिछड़ा वर्ग को अपने पाले में करने के लिए बड़ा दांव खेल दिया है। महागठबंधन ने ईबीसी मतदाताओं के लिए अतिपिछड़ा वर्ग के उत्थान, उन्नति, बेहतरी, भागीदारी और आर्थिक सबलता के लिए हमारे गठबंधन ने “अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” पेश किया। महागठबंधन ने एससी-एसटी एक्ट की तर्ज पर ईबीसी एक्ट लाने, पंचायत और निकाय चुनाव में आरक्षण सीमा 20 प्रतिशत से बढ़ा कर 30 प्रतिशत करने का कानून बनाकर नौवीं अनुसूचित में शामिल कराने समेत दस बड़े ऐलान किए हैं। महागठबंधन को विश्वास है कि इस ऐलान के बाद अति पिछड़ा वर्ग का रूझान उनकी तरफ बढ़ेगा। कांग्रेस ने “अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” का मसौदा अति पिछड़ी जातियों से आने वाले नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से चर्चा करने के बाद तैयार किया है।
“अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” में दस बड़े ऐलान
𝟏. ‘अति पिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम’ पारित किया जाएगा।
𝟐. अतिपिछड़ा वर्ग के लिए पंचायत तथा नगर निकाय में वर्तमान 𝟐𝟎% आरक्षण को बढ़ाकर 𝟑𝟎% किया जाएगा।
𝟑. आबादी के अनुपात में आरक्षण की 𝟓𝟎% की सीमा को बढ़ाने हेतु, विधान मंडल पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने हेतु केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
𝟒. नियुक्तयों की चयन प्रक्रिया में “𝐍𝐨𝐭 𝐅𝐨𝐮𝐧𝐝 𝐒𝐮𝐢𝐭𝐚𝐛𝐥𝐞” (𝐍𝐅𝐒) जैसे अवधारणा को अवैध घोषित किया जाएगा।
𝟓. अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में अल्प या अति समावेशन (𝐮𝐧𝐝𝐞𝐫- 𝐨𝐫 𝐨𝐯𝐞𝐫-𝐢𝐧𝐜𝐥𝐮𝐬𝐢𝐨𝐧) से सम्बन्धित सभी मामलों को एक कमेटी बनाकर निष्पादित किया जाएगा।
𝟔. अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जन-जाति तथा पिछड़ा वर्ग के सभी आवासीय भूमिहीनों को शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में श्रेणीकृत 𝟑 तथा 𝟓 डिसमिल आवासीय भूमि उपलब्ध करायी जायेगी।
𝟕. 𝐔𝐏𝐀 सरकार द्वारा पारित ‘शिक्षा अधिकार अधिनियम’ (𝟐𝟎𝟏𝟎) के तहत निजी विद्यालयों में नामांकन हेतु आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा अति पिछड़ा, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और जन-जाति के बच्चों के लिए किया जायेगा।
𝟖. 𝟐𝟓 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेके/आपूर्ति कार्यों में अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति के लिए 𝟓𝟎% आरक्षण देने का प्रावधान किया जाएगा।
𝟗. संविधान की धारा 𝟏𝟓(𝟓) के अंतर्गत राज्य के सभी निजी शिक्षण संस्थानों के नामांकन में आरक्षण लागू किया जायेगा।
𝟏𝟎. सभी प्रकार के आरक्षण की देख रेख के लिए उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकर (𝐑𝐞𝐬𝐞𝐫𝐯𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐑𝐞𝐠𝐮𝐥𝐚𝐭𝐨𝐫𝐲 𝐀𝐮𝐭𝐡𝐨𝐫𝐢𝐭𝐲) की स्थापना की जाएगी। विधान मंडल की अनुमति के बिना आरक्षण हेतु जारी जातियों की सूची में परिवर्तन नहीं किया जायेगा।
अति पिछड़ी जातियों की अहमियत
बिहार चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी 36 फीसदी है, जिसमें 112 जातियां शामिल हैं। पिछले चुनावों में अति पिछड़ी जातियों के वोटों का लाभ एनडीए गठबंधन को मिलता रहा है। महागठबंधन को उम्मीद है कि इस ऐलान के बाद अति पिछड़ा वर्ग का झुकाव उनकी ओर होगा।

राहुल-तेजस्वी ने खुद को बताया अति पिछड़ा का हितैषी
“अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” कार्यक्रम में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने खुद को अति पिछड़ा का हितैषी बताया। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि ये आपसे वोट ले रहे थे, आपको यूज कर रहे थे और आपको कबाड़ में फेंक रहे थे। राहुल ने कहा कि हमने यह एजेंडा तैयार किया है। वहीं तेजस्वी यादव ने अति पिछड़ों के आरक्षण का सीमा बढ़ाने के लिए अपने माता-पिता लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के योगदान का जिक्र किया।
खैर कुल मिलाकर महागठबंधन ने अपनी ओर से अति पिछड़ा वर्ग को अपने पाले में करने के लिए एक बड़ा दाव खेल दिया है। जानकारों का मानना है कि अगर ये पहल कामयाब रही तो महागठबंधन की सरकार बननी तय है।