पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। एक तरफ जहां सभी दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर दल-बदल का सिलसिला भी तेज हो गया है। इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। उनके तीन बड़े नेताओं ने जदयू से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया है।
इन नेताओं के पार्टी बदलने से जदयू को चुनावी समीकरण में बड़ा नुकसान हो सकता है। मंगलवार को बिहारीगंज विधानसभा के पूर्व राजद प्रत्याशी इं. प्रभाष कुमार के नेतृत्व में कई जदयू नेताओं ने औपचारिक रूप से राजद की सदस्यता ले ली।
जदयू छोड़कर राजद में हुए शामिल
पटना स्थित प्रदेश राजद कार्यालय में हुए कार्यक्रम में जदयू के प्रदेश महासचिव रामकृष्ण मंडल, शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव दयानंद शर्मा और वरिष्ठ नेता अविनाश राम ने राजद का हाथ थाम लिया। इस मौके पर प्रदेश राजद के प्रधान महासचिव रणविजय साहू, मुख्यालय प्रभारी मुकुंद सिंह और प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद मौजूद रहे। इन सभी नेताओं ने विधिवत रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और राजद के चिन्ह को अपनाया।
राजद में क्यों गए जदयू नेता?
राजद में शामिल होने की वजह बताते हुए रणविजय साहू ने कहा कि इन नेताओं को लालू प्रसाद यादव के सामाजिक न्याय के विचारों और तेजस्वी यादव के 17 महीने के कार्यकाल ने प्रभावित किया है। मुख्यालय प्रभारी मुकुंद सिंह ने इन नेताओं का स्वागत किया और पार्टी की सदस्यता की रसीद, राजद का पारंपरिक गमछा और लालू प्रसाद यादव की जीवनी ‘गोपालगंज टू रायसीना’ पुस्तक भेंट की।
तेजस्वी से मुलाकात, राजद को मिलेगी मजबूती
राजद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद इन नेताओं ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राज्यसभा सांसद संजय यादव से मुलाकात की। तेजस्वी यादव ने इस अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इन नेताओं के आने से मधेपुरा समेत पूरे बिहार में पार्टी और मजबूत होगी। प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद और युवा नेता मिलन यादव ने भी इनका स्वागत किया।
वहीं, जदयू छोड़कर आए रामकृष्ण मंडल, दयानंद शर्मा और अविनाश राम ने कहा कि वे बिहार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य से राजद में शामिल हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है और राजद की सरकार बनाना चाहती है।