पटना: बिहार विधान परिषद में आज अतिथि शिक्षकों को स्थायी किए जाने की मांग जोर-शोर से उठी। भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने यह सवाल सदन में रखा, जिससे शिक्षा मंत्री को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की।
भाजपा नेता ने सरकार से मांगा जवाब
भाजपा एमएलसी नवल किशोर यादव ने तर्क दिया कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति सभी निर्धारित मानकों के अनुसार की गई है। उन्होंने कहा कि “बिहार में कॉलेजों और स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की गति बेहद धीमी है। इस रफ्तार से खाली पदों को भरने में 9 से 10 साल लग सकते हैं।” उन्होंने शिक्षा मंत्री से सवाल किया कि “दूसरे राज्यों की तरह क्या बिहार में भी अतिथि शिक्षकों को नियुक्त करने की व्यवस्था होगी?”
शिक्षा मंत्री ने क्या सफाई दी?
भाजपा एमएलसी के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि “ऐसा नहीं है कि शिक्षकों की बहाली में 9-10 साल लगेंगे। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति तेजी से हो रही है, साथ ही कॉलेजों में भी रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।”
बिहार में नहीं है अतिथि शिक्षक भर्ती प्रणाली
शिक्षा मंत्री ने कहा कि “अन्य राज्यों में अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था है, लेकिन बिहार में यह प्रणाली लागू नहीं की गई है। यहां सरकार स्थायी शिक्षकों की ही बहाली कर रही है और जल्द ही सभी रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।”