गुवाहाटी: बीजेपी ने रविवार को आरोप लगाया कि यूपीए सरकार के दौरान भारत में वोटिंग बढ़ाने के नाम पर अमेरिका ने भारतीय संस्थानों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी. इसके बाद, बीजेपी ने अमेरिका द्वारा भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए जारी 2.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग को लेकर सवाल उठाए हैं. वहीं, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस आरोप का खंडन करते हुए इसे बकवास बताया है.
अमेरिकी फंडिंग पर बीजेपी का सवाल उठाना
अमेरिकी सरकार के दक्षता विभाग द्वारा फंड रोकने के बाद, बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा कि अमेरिकी एजेंसी भारत में चुनावों के लिए इतनी बड़ी रकम क्यों देगी, क्या यह चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं होगा? उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव होते हैं, और इसमें चुनाव आयोग का अहम योगदान है.
कांग्रेस पर आरोप, कैम्ब्रिज एनालिटिका से जुड़ने का सवाल
कोहली ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पहले भी चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका जैसे संगठनों से मदद ली थी, और यह लोकतंत्र के हित में नहीं था. उन्होंने कहा कि यदि किसी ने इस फंडिंग से लाभ लिया है तो उसे स्पष्ट किया जाना चाहिए और इस पर जांच होनी चाहिए.म
हेश जेठमलानी ने यूएसएआईडी के खिलाफ की अपील
भाजपा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वकील महेश जेठमलानी ने भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए भारतीय एजेंसियों से यूएसएआईडी के खातों को जब्त करने की मांग की. उन्होंने इस पर सख्त कार्रवाई की अपील की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में चुनावी प्रक्रिया पर बाहरी हस्तक्षेप न हो.
सीईसी के पूर्व प्रमुख एसवाई कुरैशी का स्पष्टीकरण
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि 2012 में हुए एक समझौते में किसी भी प्रकार की फंडिंग की बात नहीं थी. कुरैशी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब मैं मुख्य चुनाव आयुक्त था, तब 2012 में भारत में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए एक अमेरिकी एजेंसी के साथ एमओयू हुआ था, लेकिन उसमें कोई फंडिंग शामिल नहीं थी.”



































