पटना: निगरानी ब्यूरो ने भ्रष्ट अधिकारियों पर कसा शिकंजानए साल में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य सरकार की तीन प्रमुख एजेंसियां – विशेष निगरानी इकाई, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और आर्थिक अपराध इकाई – इस दिशा में सक्रिय हैं। वर्ष 2025 में 6 फरवरी तक सिर्फ निगरानी ब्यूरो ने पांच अहम मामले दर्ज किए हैं। इनमें तीन रिश्वतखोरी के मामले और दो अवैध संपत्ति अर्जित करने के केस शामिल हैं।

7 जनवरी को पहला मामला दर्ज

7 जनवरी 2025 को विजिलेंस ने पहला मामला दर्ज किया। बिजली विभाग के कंट्रोलर ऑफ स्टोर पटना, अखिलेश कुमार को 70,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। इसके बाद, 8 जनवरी 2025 को दूसरा मामला सामने आया, जिसमें सच्चिदानंद सिंह कॉलेज, औरंगाबाद के लिपिक मनोज कुमार के खिलाफ 74,96,620 रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज कर उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई।

16 जनवरी को पुल निर्माण निगम के इंजीनियर पर केस

16 जनवरी 2025 को निगरानी ब्यूरो ने पुल निर्माण निगम के प्रोजेक्ट इंजीनियर जंग बहादुर सिंह के खिलाफ 89,06,822 रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप में मामला दर्ज किया। इसके तहत उनके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।

24 जनवरी को राजस्व कर्मचारी रिश्वत लेते गिरफ्तार

24 जनवरी 2025 को निगरानी ब्यूरो ने सीतामढ़ी जिले के पुपरी अंचल के राजस्व कर्मचारी भोगेंद्र झा को 51,000 रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

6 फरवरी को दो दरोगा रिश्वत लेते पकड़े गए

निगरानी ब्यूरो ने 6 फरवरी 2025 को पटना जिले के रूपसपुर थाना के दो दरोगा – रंजीत कुमार और फिरदौस आलम – को 50,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह इस साल का पांचवां बड़ा मामला था।

सरकार और निगरानी एजेंसियां भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठा रही हैं, जिससे भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

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