tejaswi yadav
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पटना: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अब उन्हें क्रेडिट लेने से कोई मतलब नहीं है। अगर नीतीश कुमार नौकरी देने का क्रेडिट लेना चाहते हैं तो यह अच्छी बात है। अब हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके इस बयान को विधानसभा चुनाव से पहले एक अहम राजनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।

“हमारा मकसद नौकरी देना है, क्रेडिट लेना नहीं”

तेजस्वी यादव से जब बिहार में हाल ही में बांटे गए नियुक्ति पत्रों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हम 17 महीने सरकार में रहे, तो कुछ तो फायदा होगा ही। 3.50 लाख नौकरियों की प्रक्रिया हमने ही शुरू करवाई थी। पद सृजन का काम हमारे ही कैबिनेट में हुआ था। अब अगर किसी को क्रेडिट लेना है तो ले ले, हमें इससे कोई मतलब नहीं है। हमारा मकसद सिर्फ इतना है कि बिहार के युवाओं को रोजगार मिले।

“पहले क्रेडिट लेते थे, अब नहीं?

गौरतलब है कि तेजस्वी यादव अपने 17 महीने के कार्यकाल के दौरान अक्सर इस बात का जिक्र करते थे कि उन्होंने बिहार में नौकरियों के अवसर पैदा किए हैं। उन्होंने खुले मंच से कहा था कि उनके नेतृत्व में बिहार के युवाओं को सरकारी नौकरियां मिली हैं। यहां तक कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था, जिसका उनकी पार्टी को चुनाव में अच्छा फायदा भी मिला था।

तेजस्वी का तंज या रणनीति?

अब तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि उन्हें क्रेडिट लेने से कोई मतलब नहीं है। हालांकि यह बयान तंज के रूप में भी देखा जा सकता है। वे यह जताना चाहते हैं कि असली मुद्दा नौकरियों का है, न कि इसका श्रेय लेने का। तेजस्वी ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने अल्प कार्यकाल में 5 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां दीं और 3 लाख से ज्यादा नौकरियों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, जो आचार संहिता के चलते रुकी थी।

“जिसे क्रेडिट लेना है ले, हमारा काम युवाओं को रोजगार देना है”

तेजस्वी यादव ने कहा, “याद रहे, यही वो एनडीए और मुख्यमंत्री हैं, जो पहले कहते थे कि 10 लाख नौकरियां देना असंभव है। तब सवाल उठता था कि इतनी नौकरियों के लिए पैसा कहां से आएगा? लेकिन जब वे हमारे साथ सरकार में बैठे तो हमने उन्हें वैज्ञानिक तरीके से समझाया कि कैसे 10 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी जा सकती हैं।”

तेजस्वी यादव के इस बयान को सियासी हलकों में अलग-अलग नजरों से देखा जा रहा है। चुनावी माहौल में उनके इस बयान के पीछे क्या रणनीति है, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में नौकरियों का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है।

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