प्रयागराज: महाकुंभ के तीसरे और अंतिम अमृत स्नान के दिन, लाखों श्रद्धालु संगम पहुंचे, जिनमें नागा संन्यासी, साधु-संत, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर शामिल थे। ये सभी अपने विशिष्ट अंदाज में संगम के घाट तक पहुंचे और वहां उन्होंने अमृत स्नान किया। संतों के जत्थे के रास्ते से जब यह आयोजन हुआ, तो बड़ी संख्या में भक्त वहां की मिट्टी एकत्र करने लगे। इस दौरान भक्तों से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे यह क्यों कर रहे हैं।

महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान और सादगी की धारा

महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ के बाद, सभी 13 अखाड़ों ने इस बार सादगी के साथ स्नान किया था। खास शोभायात्रा का आयोजन नहीं किया गया था। संतों के जत्थे को कई हिस्सों में संगम पर स्नान के लिए लाया गया था। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया था। इसके बाद बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान के दौरान अखाड़ों में उल्लास का माहौल था।

संतों की शाही यात्रा और भक्तों का अभिवादन

संगम पर स्नान के लिए तड़के ही सभी संत रथों पर सवार होकर शाही अंदाज में पहुंचे थे। संतों के घाट पर पहुंचने के बाद, भक्त उनके स्वागत के लिए उत्सुक थे। उन्होंने रास्ते की मिट्टी अपने साथ घर ले जाने के लिए एकत्र करना शुरू कर दिया। विशेष रूप से दक्षिण भारत से आए भक्तों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए संतों के चरणों की धूल माथे पर लगाई।

भक्तों का मानना है कि संतों के चरणों की धूल शुभ होती है

भक्तों ने बताया कि महाकुंभ में आने का सौभाग्य उनके लिए एक विशेष अनुभव है, क्योंकि इस अवसर पर बहुत से संत एक साथ होते हैं, जो सामान्य रूप से हिमालय की गुफाओं में रहते हैं और कभी दिखाई नहीं देते। ऐसे संतों को एक साथ देखना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना उनके लिए बहुत ही अद्वितीय अवसर है। भक्तों ने बताया कि महाकुंभ समाप्त होने के बाद, संत यहां से चले जाएंगे, लेकिन वे यहां से मिली मिट्टी और चरण रज को घर ले जाएंगे।

तपस्वियों से प्राप्त आशीर्वाद की महत्वपूर्णता

कुछ भक्तों का मानना है कि संतों ने कठिन तपस्या और साधना के बाद जो सिद्धियां प्राप्त की हैं, उनके आशीर्वाद का एक हिस्सा उन्हें मिट्टी के रूप में मिल रहा है। वे इसे अत्यधिक पवित्र मानते हुए इसे घर ले जाकर पूजा करने का विचार करते हैं। परिवार के सदस्य भी इस मिट्टी को पूजा के दौरान इस्तेमाल करेंगे और इसके आशीर्वाद का लाभ उठाएंगे।

महाकुंभ का यह दृश्य भक्तों की श्रद्धा और संतों के प्रति आस्था को दर्शाता है। संतों के मार्ग से मिली मिट्टी, उनके आशीर्वाद और सिद्धियों को लेकर भक्तों का यह आकर्षण महाकुंभ के इस अद्वितीय अवसर का हिस्सा बन गया है।

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