हैदराबाद: हैदराबाद साइबर अपराध पुलिस ने एक बड़े अंतरराज्यीय साइबर धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस मामले में 52 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें चार बैंक अधिकारी भी शामिल हैं। यह रैकेट 88.32 करोड़ रुपये के 33 मामलों से जुड़ा हुआ था।

गिरफ्तारी और जब्ती की जानकारी

पुलिस ने आरोपियों से 47.90 लाख रुपये नकद, 40 लाख रुपये की क्रिप्टोकरेंसी, 39 एटीएम कार्ड, 17 पासबुक और 54 चेकबुक जब्त की हैं। इसके साथ ही पुलिस ने इन आरोपियों के बैंक खातों से 2.87 करोड़ रुपये के लेन-देन पर रोक भी लगा दी है। हैदराबाद के पुलिस आयुक्त सी.वी. आनंद ने बताया कि इन खातों को कमीशन के बदले में खोला गया था और इनसे धोखाधड़ी करने वालों को मनी लॉन्ड्रिंग में मदद दी जा रही थी।

अंतरराज्यीय जांच और गिरफ्तारी

अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन गुजरात, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और हैदराबाद में विशेष पुलिस अभियान के तहत चलाया गया, जिससे इन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तार बैंक अधिकारियों में आरबीएल बैंक के उप-प्रबंधक शुभम कुमार झा, एक्सिस बैंक के उपाध्यक्ष हारून रशीद और कोटक महिंद्रा बैंक के बिक्री प्रबंधक के श्रीनिवास राव शामिल हैं। इन अधिकारियों ने बिना सत्यापन के कई बैंक खाते खोले और हर खाते के लिए कमीशन लिया।

साइबर अपराधियों के साथ मिलीभगत

पुलिस ने बताया कि इन बैंक अधिकारियों ने साइबर अपराधियों को 150 से अधिक बैंक खाते मुहैया कराए थे। आरोपियों ने इन खातों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी की और लाखों रुपये की राशि निकालने में मदद की। इस रैकेट के मुख्य मास्टरमाइंड के रूप में मोहम्मद इस्माइल का नाम सामने आया, जो दुबई से ऑपरेट कर रहा था।

साइबर धोखाधड़ी में मदद करने वाले अन्य आरोपियों की पहचान

पुलिस ने बताया कि पश्चिम गोदावरी के रेड्डी प्रवीण और मछलीपट्टनम के मगंती जयराम ने खाते खोलने में मदद की। साथ ही हैदराबाद के मोहम्मद जुनैद ने धोखाधड़ी से प्राप्त धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने का काम किया।

फर्जी आरोपों के जरिए धोखाधड़ी

गुजरात के हरपाल सिंह और सैयद अयूबभाई नामक आरोपियों ने खुद को सरकारी एजेंसियों के रूप में पेश किया और व्हाट्सऐप और इंटरनेट कॉल्स के जरिए लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी और आतंकवाद के झूठे आरोपों में फंसाकर पैसे ऐंठने की कोशिश की।

आगे की जांच और कार्रवाई

पुलिस का कहना है कि बैंक अधिकारियों और बिचौलियों की गिरफ्तारी से साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। अब आगे की जांच के दौरान अतिरिक्त लिंक और वित्तीय लेन-देन का पता लगाया जाएगा।

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