पटना: बिहार विधान परिषद ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि राजद के एमएलसी सुनील कुमार सिंह को सदन से निष्कासित करने में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था और वे परिषद के आदेशों को चुनौती दे रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ से कहा कि सुनील कुमार पहले भी अनुशासनहीनता में संलिप्त रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आचार समिति द्वारा उनके निष्कासन की सिफारिश पर सदन में विस्तार से चर्चा की गई थी।
फैसला सुरक्षित रखा गया
हालांकि, पीठ ने पूर्व विधायक सुनील सिंह की याचिका पर निर्णय सुरक्षित रखा। राजद नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क प्रस्तुत किया कि आनुपातिकता का सिद्धांत लागू नहीं किया गया और सुनील कुमार ने केवल इतना कहा था कि लोग कहते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘पलटूराम’ हैं।
सुप्रीम कोर्ट की दिशा
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सुनील कुमार की याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा है। बेंच ने दोनों पक्षों को शुक्रवार तक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि यह मामला कुछ संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है और इसे सुनिश्चित किया जाएगा।
चुनाव परिणामों पर रोक
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधान परिषद उपचुनाव के परिणामों की घोषणा पर रोक जारी रखी थी। 15 जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, चुनाव परिणामों की घोषणा पर रोक बनी रहेगी। विधान परिषद की सीट पर नाम वापसी की अवधि समाप्त हो चुकी है, और इस सीट के लिए जेडीयू नेता ललन सिंह ने अकेले नामांकन भरा है।


































