जबलपुर: गणतंत्र दिवस के दौरान देश भर में सरकारी आयोजनों की धूम होती है, लेकिन जबलपुर में इस दिन को कुछ अलग ही रूप में मनाया जाता है। यहां के अंबेडकरवादी इसे धार्मिक आयोजन मानते हैं। उनका मानना है कि यह उनके लिए एक त्योहार के समान है और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर उनके लिए भगवान से कम नहीं हैं। यही वजह है कि वे उनके मंदिरों में मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उन्हें भगवान की तरह पूजा करते हैं।

जबलपुर में बढ़ी बौद्ध धर्म की संख्या

जबलपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायी अब एक लाख से ज्यादा हो गए हैं और यहां 13 प्रमुख बौद्ध विहार हैं। हर एक विहार में भगवान बुद्ध के साथ-साथ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।

बौद्ध विहार में बाबा साहब की पूजा

जबलपुर के भीम नगर में स्थित बौद्ध विहार की छाया धवडे बताती हैं कि उनके विहार में रोजाना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पूजा की जाती है। पहले भगवान बुद्ध की पूजा होती है, फिर उनके बाद बाबा साहब का पूजा पाठ किया जाता है। छाया का कहना है कि बाबा साहब उनके लिए भगवान के समान हैं क्योंकि उनके कारण लाखों लोगों का जीवन सुधरा है।

रविवार को आयोजित होते हैं बड़े कार्यक्रम

बाबा साहब की अनुयाई विजय बताती हैं कि हर रविवार को हर विहार में बड़े आयोजन होते हैं, जिनमें संविधान का पाठ किया जाता है और उस पर चर्चा की जाती है। संविधान की किताब विहारों में एक पवित्र ग्रंथ की तरह रखी जाती है, ठीक वैसे जैसे मंदिरों में धार्मिक ग्रंथ होते हैं। वे इसे पूजा के समय पढ़ते हैं।

संविधान और अंबेडकरवादियों की आस्था

संविधान अंबेडकरवादियों के लिए सिर्फ कानून की किताब नहीं, बल्कि एक पवित्र ग्रंथ है। जबलपुर में इस पर कवि सम्मेलन, निबंध लेखन और गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं। इन कार्यक्रमों को सरकारी आयोजन के बजाय वे अपने धार्मिक अनुष्ठान मानते हैं।

अंबेडकर की मूर्तियों का आयोजन

जबलपुर में बौद्ध विहारों के अलावा कई स्थानों पर लोगों ने अपनी जेब से अंबेडकर की मूर्तियां लगवायी हैं। यह मूर्तियां बिल्कुल उसी तरह स्थापित की जाती हैं जैसे गली-मोहल्लों में लोग भगवान की मूर्तियां स्थापित करते हैं।

गणतंत्र दिवस पर अंबेडकरवादियों का आयोजन

गणतंत्र दिवस पर जब अन्य लोग सरकारी आयोजनों में व्यस्त होते हैं, अंबेडकरवादी अपने व्यक्तिगत धार्मिक आयोजनों का आयोजन करते हैं। इन आयोजनों में भंडारे होते हैं, पूजा होती है और संविधान का पाठ भी किया जाता है। ये आयोजन पूरी तरह से धार्मिक होते हैं और इसमें कई लोग अंबेडकर को मानने वाले शामिल होते हैं।

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