पटना: बिहार में शारीरिक शिक्षकों और स्वास्थ्य अनुदेशकों की स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो गई है। ये शिक्षक केवल 8000 रुपये मासिक वेतन पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस वेतन में अपने परिवार का पालन-पोषण करना असंभव हो गया है। वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कई वर्षों से पत्राचार और शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे वे सड़क पर उतरने के लिए मजबूर हो गए हैं। आर्थिक तंगी के कारण कई शिक्षक अपनी नौकरी छोड़कर अन्य कामों में लग गए हैं, जैसे कि डिलीवरी बॉय या दुकानदार।
वेतन संबंधित समस्याएं
शारीरिक शिक्षक बताते हैं कि उन्होंने कई बार सरकार और जनप्रतिनिधियों से अपनी वेतन बढ़ोतरी की मांग की है, लेकिन उनकी शिकायतों को अनदेखा किया गया है। फिलहाल, इनका वेतन 8000 रुपये निर्धारित किया गया है, जबकि नियोजन नियमावली 2012 के तहत प्राथमिक शिक्षकों का वेतन 5000 रुपये, माध्यमिक शिक्षकों का 6000 रुपये और शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों का 4000 रुपये तय किया गया था। यह स्थिति उनके जीवन की गंभीरता को दर्शाता है।
सड़क पर भीख मांगना
इन शिक्षकों ने अपनी समस्याओं को उजागर करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। उन्होंने कटोरा लेकर सड़क पर भीख मांगने का कदम उठाया है। यह एक प्रकार का प्रदर्शन है, जिसमें वे राहगीरों, ई-रिक्शा चालकों और फुटपाथ पर खड़े विक्रेताओं से भीख मांगते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं। यह कदम न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे कितने हताश हो चुके हैं।
महंगाई का असर
महंगाई के इस दौर में, 8000 रुपये के वेतन में बच्चों की पढ़ाई और परिवार का पालन-पोषण करना कठिन हो गया है। शिक्षक प्रेरणा महतो ने बताया कि इस वेतन में जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। इसी तरह, शिक्षक अमित कुमार ने कहा कि अगर हालात नहीं बदले, तो उन्हें हमेशा के लिए भीख मांगने पर निर्भर रहना पड़ेगा।
सरकारी नीतियों पर सवाल
यह स्थिति राज्य की शिक्षा व्यवस्था और सरकारी नीतियों पर गंभीर सवाल खड़ा करती है, जो इन शिक्षकों की समस्याओं को अनदेखा कर रही हैं।
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