धनबाद/झारखंड: पिछले कुछ दिनों से धनबाद के डिगवाडीह स्थित एक निजी स्कूल में 10वीं कक्षा की छात्राओं द्वारा शर्ट उतरवाने का मामला तूल पकड़ चुका है। इस घटना ने जहां एक ओर शिक्षा जगत में हड़कंप मचाया है, वहीं राजनीतिक और सामाजिक पक्षों से भी इस पर प्रतिक्रिया आ रही है। मामला अब प्रशासन और पुलिस जांच के दायरे में आ गया है, जबकि पैरेंट्स और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
शिक्षा विभाग और अन्य टीमों ने स्कूल में की जांच
सोमवार को एसडीएम राजेश कुमार और जिला शिक्षा पदाधिकारी निशु कुमारी ने स्कूल का दौरा कर जांच की। इसके अलावा डालसा की टीम भी मौके पर पहुंची और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। साथ ही सीडब्ल्यूसी की टीम भी स्कूल पहुंची है। सभी टीमें इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं। इस दौरान डालसा के सचिव ने बताया कि जांच चल रही है और कल तक रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।
घटना का विवरण
यह घटना 10वीं कक्षा की छात्राओं से जुड़ी हुई है, जिन्हें स्कूल में एक असामान्य और विवादास्पद घटना का सामना करना पड़ा। जानकारी के अनुसार, डिगवाडीह के एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल ने कुछ छात्राओं की शर्ट उतारने के लिए कहा। दरअसल, छात्राओं पर स्कूल के ड्रेस कोड का पालन नहीं करने का आरोप था। प्रिंसिपल का कहना था कि छात्राओं ने निर्धारित यूनिफॉर्म के अनुसार शर्ट की लंबाई में बदलाव किया था, और शर्ट को छोटा किया था, जिसे लेकर उन्होंने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। हालांकि, छात्राओं और उनके अभिभावकों का आरोप है कि यह घटना अत्यधिक अपमानजनक थी और प्रिंसिपल ने उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया।
पैरेंट्स का रिएक्शन
छात्राओं के अभिभावकों ने इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने स्कूल प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एक अभिभावक ने कहा कि यह घटना केवल शारीरिक अपमान ही नहीं, बल्कि मानसिक उत्पीड़न का भी कारण बनी है। उन्होंने इस तरह की घटनाओं को शिक्षा के उद्देश्य के खिलाफ बताया और कहा कि विद्यालय में ऐसी कड़ी सजा देना बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। पैरेंट्स का कहना है कि इस घटना के बाद छात्राओं को मानसिक आघात पहुंचा है और इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
इस विवाद के बाद जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। धनबाद प्रशासन ने स्कूल प्रबंधन से जवाब तलब किया है और घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने भी प्रिंसिपल और अन्य संबंधित लोगों से पूछताछ की है। इस घटना के बाद पुलिस ने स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात भी कही है। स्कूल प्रशासन से यह स्पष्ट किया गया कि यदि आरोप सही पाए गए तो प्रिंसिपल और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी और जेएमएम का स्टैंड
राजनीतिक दलों ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
बीजेपी का स्टैंड: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस मामले को गंभीर रूप से उठाया है। पार्टी ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे बच्चों के साथ किए गए अत्याचार के रूप में देखा है। बीजेपी के नेताओं ने कहा कि यह घटना शिक्षा के माहौल को विकृत करने वाली है और इस तरह की घटनाओं की सख्त निंदा की जानी चाहिए। पार्टी ने राज्य सरकार से भी इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सिखाना और उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देना है, न कि उन्हें अपमानित करना।
जेएमएम का स्टैंड: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने इस घटना को बेहद निंदनीय बताते हुए स्कूल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जेएमएम के नेताओं ने कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती हैं, बल्कि यह समाज में शिक्षा के प्रति एक नकारात्मक छवि भी बनाती हैं। जेएमएम ने यह भी कहा कि स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा और सम्मान का ख्याल रखा जाना चाहिए और ऐसे कृत्य शिक्षा के उद्देश्य के खिलाफ हैं।
स्कूल प्रशासन का बयान
स्कूल प्रशासन ने घटना को लेकर अपनी सफाई दी है। स्कूल के अधिकारियों ने कहा कि यह सब ड्रेस कोड के उल्लंघन के कारण हुआ था, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस घटना को इस तरीके से नहीं निपटना चाहिए था। स्कूल ने कहा कि अब से इस तरह की घटना को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, प्रिंसिपल की तरफ से किसी तरह का स्पष्ट बयान नहीं आया है, और वह जांच के दायरे में हैं।
सोशल मीडिया और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर भारी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां कुछ लोग इसे शिक्षा के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए इसकी आलोचना कर रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि ड्रेस कोड को पालन करवाना आवश्यक है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में बच्चों के साथ इस तरह की कठोरता नहीं दिखाई जानी चाहिए। सोशल मीडिया पर इस घटना के खिलाफ ऑनलाइन कैंपेन भी चल रहे हैं, जिसमें लोगों ने इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
धनबाद के डिगवाडीह के इस निजी स्कूल में हुई घटना ने शिक्षा और बच्चों के अधिकारों पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि मामले की जांच जारी है, लेकिन यह घटना शिक्षा जगत में बच्चों के सम्मान और सुरक्षा के प्रति ध्यान आकर्षित करने वाली बन चुकी है। प्रशासन, राजनीतिक दल और नागरिक समाज के सदस्य अब इस मामले में अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं, और उम्मीद है कि इस मुद्दे पर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी।