पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों अपनी ‘प्रगति यात्रा’ पर निकले हुए हैं। इस यात्रा के दौरान, वह राज्य के विभिन्न जिलों में जाकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें करते हैं और विभिन्न योजनाओं की शुरुआत करते हैं। हालांकि, विपक्ष लगातार इस यात्रा पर सवाल उठा रहा है। अब, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस यात्रा को ‘दुर्गति यात्रा’ करार दिया है।
युवाओं की आशाओं को निराशाओं में बदलने का आरोप
तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो अब थके हुए नजर आते हैं, रिटायर्ड अधिकारियों के साथ मिलकर बिहार के युवाओं की उम्मीदों को निराशाओं में बदल चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री विज्ञापनों पर सैंकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, जबकि बिहारियों के जीवन को खुशहाल बनाने के बजाय वह उसे बर्बाद कर रहे हैं। राजद नेता ने यह भी कहा कि बिहार की प्रगति को ‘दुर्गति की आग’ में झोंका जा रहा है।
बेसुध सरकार और बिगड़ती स्थिति का आरोप
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि इस बेसुध सरकार और उसके नेतृत्व में हर बरसात में सैंकड़ों पुल और पुलिया गिर जाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों से बिहार में परीक्षाओं के पेपर लीक और धांधली की घटनाएं हो रही हैं। महंगाई ने हर घर-परिवार को परेशान कर दिया है, जबकि छोटे और बड़े व्यवसाय भी संकट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार के शासन में बिहार गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और पलायन में सबसे आगे है।
यात्रा पर भारी खर्च और मुख्यमंत्री का मौन
तेजस्वी यादव ने यह भी सवाल उठाया कि इस यात्रा पर 2 अरब 25 करोड़ 78 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने यह तंज कसा कि मुख्यमंत्री गंभीर मुद्दों पर क्यों नहीं बोल पा रहे हैं या फिर उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। विपक्षी नेता ने यह भी पूछा कि अब कौन सी परिस्थिति बन गई है, जो मुख्यमंत्री को हाइलाइट किया जा रहा है। अंत में, तेजस्वी यादव ने यह याद दिलाया कि चुनावों में मुख्यमंत्री ने 10 लाख या 20 लाख नौकरियों का वादा किया था, जबकि महागठबंधन सरकार में 17 महीनों में 5 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गई थी।