रांची/झारखंड: झारखंड की राजनीति इन दिनों राज्य के विभिन्न बोर्ड, निगम और संवैधानिक आयोगों में खाली पड़े महत्वपूर्ण पदों को लेकर गरमाई हुई है। महिला आयोग और सूचना आयोग जैसे संवैधानिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों के रिक्त रहने पर भाजपा और सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक चल रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने इन रिक्त पदों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है।
भाजपा पर आरोप – पदों की भर्ती में हो रही देरी
भा.ज.पा. नेताओं का कहना है कि इंडिया ब्लॉक के दलों (झामुमो, कांग्रेस, राजद और माले) में बोर्ड, निगम और आयोगों में पदों को लेकर इतनी होड़ मची हुई है कि सरकार खाली पदों को भरने में नाकाम है। भाजपा का आरोप है कि ये दल अपनी-अपनी पसंद के नेताओं को इन पदों पर बैठाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
मनोज पांडेय का जवाब – लेटलतीफी के लिए भाजपा जिम्मेदार
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार जल्द से जल्द खाली पदों को भरने के लिए तत्पर है, लेकिन एक प्रमुख समस्या है। राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण संवैधानिक आयोगों के पदों को भरने में समस्या आ रही है। झामुमो नेता ने यह भी कहा कि भाजपा को यह बताना चाहिए कि वे अपना नेता प्रतिपक्ष कब चुनेंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि झामुमो और उसके सहयोगी दलों में कोई मतभेद या असंतोष नहीं है और इस वर्ष तक सभी रिक्त पदों को भर दिया जाएगा।
कांग्रेस का आरोप – भाजपा के कारण आयोगों के पद खाली
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू ने कहा कि राज्य सरकार संवेदनशील है, लेकिन भाजपा के अंदर नेता के चयन को लेकर मारामारी है, जिससे नेता प्रतिपक्ष का चुनाव लंबित है। इस वजह से महिला आयोग और सूचना आयोग जैसे संवैधानिक आयोगों के महत्वपूर्ण पद खाली हैं, और इसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
शिवपूजन पाठक का पलटवार – भाजपा पर आरोप हास्यास्पद
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा कि यह आरोप हास्यास्पद है कि सरकार के खाली पदों को नहीं भरने के लिए भाजपा जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, झारखंड राज्य वन विकास निगम, टीवीएनएल और झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन जैसे कई बोर्ड और निगमों के पद खाली हैं। उनका कहना था कि इन संस्थाओं के अधिकतर पदों में नेता प्रतिपक्ष की कोई आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि यह पदों के लिए इंडिया ब्लॉक के दलों में आपसी खींचतान का नतीजा है।