पटना: छठ महापर्व का चौथा और अंतिम दिन 8 नवम्बर, शुक्रवार को था। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। छठ के समापन के दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतिों ने व्रत का पारण किया, जिसके साथ ही चार दिवसीय इस महापर्व का समापन हुआ। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। इस दिन सभी व्रतिों ने व्रत का पारण किया और इस पर्व की समाप्ति की।

व्रत का समापन

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 7 नवम्बर की मध्यरात्रि 11:57 बजे हुआ। इस कारण, 8 नवम्बर को सुबह सूर्योदय के समय उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। 8 नवम्बर को सूर्योदय का समय सुबह 6:25 बजे था।

मान्यता है कि सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिलती है। साथ ही संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है और संतान की रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्योदय के समय अर्घ्य देने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

इस मंत्र का करना चाहिए उच्चारण

छठ महापर्व के अंतिम दिन सूर्योदय के दौरान अर्घ्य अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए: “ओम एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय माम् भक्तया गृहाणाघ्र्यम् दिवाकर।।”

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