पटना: प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार (5 नवंबर) की रात हो गया, जिससे उनके प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। शारदा सिन्हा, जो 72 वर्ष की थीं, कुछ समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा था। उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने फेसबुक पर इस दुखद समाचार की पुष्टि की।
शारदा सिन्हा के अंतिम दर्शन
मायके वाले सभी गमगीन हैं और शारदा सिन्हा के अंतिम दर्शन के लिए पटना आ रहे हैं। इस दौरान उनकी भौजाई आज से 30 साल पहले गाए गए गीत “कोयल बिना बगिया न शोभे राजा…” को गाकर भावुक हो गईं और पुराने पलों को याद किया। उन्होंने बताया कि जब उनकी शादी हुई थी और वे यहां आए थे, तब शारदा सिन्हा छोटी थीं। हम लोग जब साथ बैठते थे और गाने गाते थे, तो वह कहती थी कि इस गाने को हम अपने तरीके से तैयार करेंगे और फिर उसका कैसेट बनाएंगे। अब छठ पूजा में प्रभु ने उन्हें अपने पास बुला लिया। शारदा सिन्हा के बिना छठ पूजा सुनसान और वीरान है। हालांकि वे हमसे उम्र में बड़ी थीं, फिर भी उनका जाना हम सभी के लिए एक बड़ा दुख है।
स्वर कोकिला के छोटे भाई, होम्योपैथी के चिकित्सक डॉ. पद्मनाभ शर्मा और उनकी पत्नी सुमन शर्मा ने बताया कि उन्होंने शारदा सिन्हा से आखिरी बार 31 मार्च और 1 अप्रैल 2024 को मुलाकात की थी, जब वह उनके बेटे की शादी में आई थीं। उन्होंने दो महीने बाद फिर मिलने का वादा किया था, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था और वह हम सभी को छोड़कर चली गईं।
उनके छोटे भाई ने कहा
उनके छोटे भाई ने कहा कि जब एक दिन शारदा सिन्हा से उनकी बात हुई थी, तो उन्होंने कहा था कि जब तक यह धरती और हमारी संस्कृति जीवित रहेगी, तब तक उनका गीत अमर रहेगा। मुंडन, छठ या शादी जैसे कार्यक्रमों में उनके गीतों के बिना सब अधूरा रहता है। शारदा सिन्हा बिहार की स्वर कोकिला और पद्मश्री तथा पद्मभूषण सम्मान प्राप्त थीं। वह आठ भाई-बहनों में इकलौती बहन थीं और घर में सबसे लाडली थीं।
वहीं, शारदा सिन्हा का शव पटना पहुंच चुका है। इंडिगो फ्लाइट से उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से पटना लाया गया। शारदा सिन्हा के प्रशंसकों की भारी संख्या को देखते हुए, उनका पार्थिव शरीर बुधवार को दोपहर 12 बजे के बाद पटना में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। बुधवार को अंतिम संस्कार नहीं होगा, बल्कि 7 नवंबर को सुबह 9 बजे शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शारदा सिन्हा की स्वास्थ्य स्थिति
शारदा सिन्हा लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। हाल ही में उनके पति का ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हुआ था, जिसके बाद उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी थी। 2018 में उन्हें मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार का बोन मैरो और ब्लड कैंसर, का निदान हुआ था। हाल ही में उनकी स्थिति और खराब हो गई थी, जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
मल्टीपल मायलोमा: एक खतरनाक बीमारी
मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर है, जो हड्डियों की मज्जा (बोन मैरो) को प्रभावित करता है। इसमें बी सेल्स असामान्य रूप से काम करती हैं, जिससे शरीर में कई जटिल समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
मल्टीपल मायलोमा के लक्षण
कमर या हड्डियों में लगातार दर्दहड्डियों का कमजोर होना, विशेषकर स्पाइन और हिप्स में थकान, भूख में कमी, वजन घटना और मानसिक भ्रम पाचन समस्याएं जैसे कब्ज और उल्टी
शारदा सिन्हा का योगदान
शारदा सिन्हा को छठ गीतों और भोजपुरी लोकगीतों के लिए विशेष रूप से जाना जाता था। उनके गीत छठ महापर्व का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं, और उनका संगीत हर साल इस पर्व में गूंजता है। उनके द्वारा गाया हुआ “केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव” जैसे गीत छठ पर्व में एक अमिट छाप छोड़ते हैं।