मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ट्रेडिंग सदस्यों (TM) के पास पड़े बिना दावे वाले फंड और सिक्योरिटी के बेहतर प्रबंधन के लिए एक नई प्रणाली का प्रस्ताव दिया है।

कितने फंड और सिक्योरिटी बिना दावे के हैं?

SEBI के आंकड़ों के अनुसार, 31 जनवरी 2025 तक बिना दावे वाले फंड की कुल राशि करीब 323 करोड़ रुपये थी, जबकि बिना दावे वाली सिक्योरिटी का मूल्य लगभग 182 करोड़ रुपये था। SEBI का उद्देश्य इन संपत्तियों को उनके सही मालिकों को लौटाना है।

कैसे होगी अनक्लेम्ड सिक्योरिटी की पहचान?

SEBI के मुताबिक, अगर किसी ग्राहक के बैंक खाते या डीमैट खाते में धनराशि या सिक्योरिटी जमा नहीं हो पाती हैं, या ग्राहक से संपर्क संभव नहीं होता, तो उस खाते को तुरंत ‘इंक्वायरी स्टेटस’ में डाल दिया जाएगा।

अगर कोई सिक्योरिटी ‘इंक्वायरी स्टेटस’ में बनी रहती है या 30 दिनों से अधिक समय तक ट्रेडिंग सदस्य के पास रहती है, तो उसे ‘अनक्लेम्ड सिक्योरिटी’ माना जाएगा।

क्या हैं दावा न किए गए फंड और सिक्योरिटी?

गलत विवरण या निष्क्रिय खातों के कारण किसी ग्राहक के बैंक या डीमैट खाते में जमा न हो पाने वाली संपत्तियां ‘अनक्लेम्ड’ श्रेणी में आएंगी। यदि 30 दिनों तक ग्राहक से संपर्क नहीं हो पाता है, तो उस संपत्ति को भी दावा न किए गए धन या सिक्योरिटी के रूप में टैग किया जाएगा।

अनक्लेम्ड संपत्तियों का क्या होगा?

बिना दावा वाले फंड

  • 30 दिनों के भीतर – यह राशि सावधि जमा (FD) या ओवरनाइट लिक्विड योजनाओं में रखी जाएगी।
  • 1 वर्ष बाद – इसे निर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज (DSE) को हस्तांतरित किया जाएगा।
  • 3 वर्ष बाद – यह निवेशक सुरक्षा निधि (IPF) में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

बिना दावा वाली सिक्योरिटी

  • 7 दिनों के भीतर – सिक्योरिटी को निर्दिष्ट स्टॉक एक्सचेंज के तहत एक विशेष खाते में गिरवी रखा जाएगा।
  • 3 वर्षों तक दावा न किए जाने पर – इसे निवेशक दावों के लिए एक विशेष श्रेणी के तहत रखा जाएगा।

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