पटना: पिछले कुछ साल से चर्चा का बाजार गर्म है की बिहार की राजधानी में जमीन की कीमतें आसमान छू रही है। बिहार में रीयल एस्टेट कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है की पटना में जमीन के तेजी से बढ़ते मूल्यों ने महानगरों को भी पीछे छोड़ दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं की करप्शन के जरिए अकूत धन एकत्र करने वाले लोगों का सॉफ्ट टारगेट यह व्यवसाय है और शायद यह एक बड़ी वजह भी है कि जमीन के मूल्य लगातार बढ़ रहे हैं।
बिहार की राजधानी में इस व्यापार से जुड़े कौशल कुमार अपने साफ सुथरे डीलिंग के लिए जाने जाते हैं और इस व्यवसाय पर इनकी सोच और समझ के लोग कायल हैं। बालाजी ग्लोबल के डायरेक्टर कौशल कुमार का मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विगत कुछ साल में भ्रष्ट सरकारी सेवकों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ रखी है और आए दिन मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिलती है कि कितने भ्रष्ट सरकारी अधिकारी पकड़े गए और कितने की अवैध संपत्ति जत हुई और यदि यह सिलसिला ऐसे ही आने वाले कुछ साल तक चलता रहा तो निश्चित रूप से जमीन के मूल्य आम लोगों की पहुंच में होगे।
सगुना मोड-उसके आसपास तेजी से विकास के सवाल पर कुमार
पटना के सगुना मोड और उसके आसपास तेजी से होते विकास के सवाल पर कुमार करते है कि मूल्य के मामले में कहा जा सकता है की मध्य पटना की क्षमता अब सीमित होकर रह गई है, जबकि सगुना मोड़ और इसके आसपास की जमीन अभी भी सस्ते दर पर आसानी से उपलब्ध है। रियल स्टेट के आपराधिक मामलों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में बालाजी ग्लोबल के डायरेक्टर कौशल कुमार कहते हैं कि अधिकतर आपराधिक मामलों के तार जमीन से जुड़े होते हैं, और लोगों में भय व्याप्त होता है। ग्राहकों के पास पैसे की कमी नहीं, बावजूद इसके सही मार्गदर्शन के आभाव में लोग निवेश करने से कतराते हैं, और इस बात को मैंने गंभीरता से लिया और लोगों में व्याप्त यही डर आज मेरी ताकत बन चुकी है। क्योंकि मेरे सही मार्गदर्शन की बदौलत उन्होंने मेरे ऊपर भरोसा जताया है और मेरे द्वारा दिए उचित सलाह के उपरान्त आज लोग खुलकर निवेश कर रहे हैं।

बातचीत के दौरान अपने अंदाज में कौशल कुमार कहते हैं कि बधु पक्ष जिस प्रकार कर पक्ष के गहन छानबीन के उपरांत विवाह का निर्णय लेते हैं. कुछ ऐसा ही मामला जमीन के साथ भी जुड़ा है। उचित छानबीन के आभाव में जिस प्रकार रिश्तों में दरार आ जाती है उसी प्रकार जमीन में भी अक्सर समस्याएं आती है। में बेटी के उस पिता की तरह सोचता हूँ की विषय की छानबीन के उपरांत फैसला लेता है। शैक्षणिक योग्यता से सम्बंधित दस्तावेजों और जमीन के कागजात से ज्यादा जिन चीजों को पड़ना जरूरी होता है मेरा फोकस उसी पर होता है और सायद यही वजह है की की दिनोदिन मेरे व्यावसायिक संबंध अपने ग्राहकों से गहरे होते जा रहे हैं।
”कौशल मॉडल” अपनाने पर विचार ज़रूरी

मुख्य सड़क के किनारे की जमीन सस्ती और मोहल्ले के अंदर की ज़मीन महंगी होने के सवाल पर कौशल कहते हैं कि बिहार सरकार जो ने व्यवस्था कायम की है उसके अनुसार अबवर्ड मोहल्ला और गावं के हिसाब से 5 नई श्रेणीयां बनेंगी इसमें व्यावसायिक, आवासीय, औधोगिक कृषि और नदी के किनारे बिना उपजाऊ जमीन होगी। नगर निगम क्षेत्र की जमीन का दस फीसदी जबकि नगर परिषद नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र में फीसदी शुल्क जमा करने पर रजिस्ट्री होगी इनमें नगर निगम क्षेत्र की जमीन की फीसदी स्टाम्प उयूटी और 2 फीसदी फीस भी शामिल है। वही नगर परिषद नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र की उभीम का प्रतिशत स्टाम्प उयूटी और प्रतिशत फीस शामिल है। सड़क के वर्गीकरण वाली सर्किल दर का औसत निकलकर वार्ड और मोहल्ले के हिसाब से नई दरे बनेंगी यानी प्रदान सड़क के किनारे, मुख्य सडक किनारे और सहायक सड़क के किनारे वाले सर्किल दर को मिलाकर वार्ड और मोहल्ले के से नई दरें तैयार होगी ऐसे में बदलाव होने के बाद कुछ लोगों को इसका सीधा लाम मिलेगा।
कौशल कहते हैं कि बिहार सरकार विगत 2 साल से समस्त भूमि को ऑनलाइन करने को लेकर सर्व करवा रही है, जो आने वाले कुछ सालों में प्रदेश की सभी जमीन ऑनलाइन हो जाएगी जिससे 70 वर्षों की जानकारी लोगों को घर बैठे मिल सकेगी बरहाल इतना तो साफ़ है रियल स्टेट के कारोबार में लगे लोगों को ”कौशल मॉडल” अपनाने पर विचार करना होगा ताकि न केवल निवेशक बल्कि वह खुद भी आर्थिक रूप से सफल हो सकें।
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