पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सेवानिवृत्त आईएएस अफसर खासे पसंद हैं। रिटायरमेंट के बाद या जिनका रिटायरमेंट नजदीक हो, ऐसे अफसरों को नीतीश सरकार ने कई बार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिलवाकर राज्य के विभिन्न आयोगों, निगमों और विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दी है। इनमें से अधिकांश पूर्व आईएएस अधिकारियों को ऐसे पदों से नवाजा गया है। उदाहरण के लिए, सात साल पहले, जब राज्य सरकार ने कुछ सीनियर अफसरों को रिटायरमेंट के करीब होने पर जल्द से जल्द स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिलवाकर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी। इसके बाद, एक के बाद एक, उन्हें विभिन्न पदों पर बैठाया गया। ताजा उदाहरण शिशिर सिन्हा का है, जो पहले विकास आयुक्त के पद पर थे और जिन्हें 9 नवंबर को बिहार खेल विश्वविद्यालय, राजगीर का पहले कुलपति नियुक्त किया गया है।

सेवानिवृत्ति के बाद शिशिर सिन्हा को तीसरी बार नया पद

1982 बैच के आईएएस अफसर शिशिर सिन्हा को बिहार खेल विश्वविद्यालय, राजगीर का पहला कुलपति नियुक्त किया गया है। खेल विभाग ने इस संबंध में आज आदेश जारी किया। अब सेवानिवृत्त अफसरों के लिए यह पद स्थायी हो गया है। दो महीने पहले, लखीसराय के डीएम रहे रजनीकांत को उनके रिटायरमेंट से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर बिहार खेल विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार सह प्रभारी कुलपति नियुक्त किया गया था। अब शिशिर सिन्हा को स्थायी कुलपति का पद मिला है। यह पद भी एक सेवानिवृत्त आईएएस अफसर के खाते में आया।

शिशिर सिन्हा के पदों की लिस्ट में और भी बदलाव

शिशिर सिन्हा, जो जुलाई 2018 में रिटायर होने वाले थे, उन्हें कुछ समय पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर सरकार ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया था। पहले उन्हें बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) का अध्यक्ष बनाया गया। फिर विद्युत विनियामक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अब शिशिर सिन्हा को बिहार खेल विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया है।

इस क्रम में सात साल पहले, शिशिर सिन्हा के साथ बेगूसराय के डीएम रहे नौशाद यूसुफ को भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई थी, और दोनों को विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया था। इस प्रकार, नीतीश सरकार में रिटायर्ड आईएएस अफसरों का खेल जारी है, जहां एक पद से दूसरे पद तक का सिलसिला चलता रहता है।

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