पटना: RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद ने वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए अगड़ी और पिछड़ी जातियों के बीच बढ़ती असमानता को लेकर केंद्र की एनडीए सरकार और बीजेपी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि विश्व असमानता लैब की रिपोर्ट सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करती है। आंकड़ों का हवाला देते हुए लालू ने कहा कि यही कारण है कि बीजेपी देश में जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है.
लालू ने एक्स पर वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब की रिपोर्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब द्वारा जारी अध्ययन में पिछड़े लोगों/दलितों और आदिवासियों के बारे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. यह अध्ययन देश में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक असमानताओं पर प्रकाश डालता है।” इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश की कुल संपत्ति में ऊंची जातियों के पास 𝟖𝟖.𝟒% है, जबकि ओबीसी के पास 𝟗.𝟎% और अनुसूचित जाति और जनजाति के पास सिर्फ 𝟐.𝟔% है।
RJD अध्यक्ष ने लिखा कि ‘𝟐𝟎𝟏3 में 𝐎𝐁𝐂 का देश की संपत्ति में 𝟏𝟕.𝟑% हिस्सा था जो 𝟐𝟎𝟐𝟐 में घटकर 𝟗% ही रह गया है। छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय लगातार घटते जा रहे हैं। कृषि घाटे का सौदा होता जा रहा है। किसान सरकार की गलत नीतियों के चलते बर्बाद हो रहे हैं। सर्वविदित है कि देश में 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓 की आबादी लगभग 𝟖𝟓% है। यही कारण है कि बीजेपी जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती है। क्योंकि इससे हर क्षेत्र में कुंडली मारे बैठे संपन्न लोगों का प्रभुत्व उजागर हो जाएगा’।
लालू ने आगे लिखा है, ‘रिसर्च बताती है कि देश की कुल संपत्ति का बड़ा हिस्सा लगभग 𝟖𝟗% हिस्सा, आबादी में सबसे कम संख्या वाले वर्गों के पास है तथा देश की सबसे अधिक आबादी वाले 𝟖𝟓% 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓 के पास बाक़ी बचा हिस्सा है। इससे पता चलता है कि हमारे देश में सामाजिक-आर्थिक असमानता की जड़ें कितनी गहरी हैं। मोदी सरकार लगातार 𝟏𝟎 बरसों से 𝐎𝐁𝐂, 𝐒𝐂 और 𝐒𝐓 वर्ग के छोटे व्यवसायों को भी टारगेट कर खत्म कर रही है’।
उन्होंने आगे लिखा है कि, ‘जब तक 𝐎𝐁𝐂, 𝐒𝐂 & 𝐒𝐓 और उच्च जाति के गरीब लोग बीजेपी की भक्ति, धर्मांधता और नफ़रत बोने वाले दंगाइयों को अपना नेता मानेंगे, तो ये आंकड़े और भी बद्तर होते जाएंगे। विगत 𝟏𝟎 वर्षों में इन्होंने आपको यानि 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓 को धर्म और छद्म राष्ट्र के बनावटी मुद्दों व बहसों में उलझाकर अपनी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सत्ता को ओर अधिक सुदृढ़ एवं सुनिश्चित किया है। ये लोग धूर्तता के साथ 𝐎𝐁𝐂/𝐒𝐂/𝐒𝐓 को सांकेतिक और दिखावटी प्रतिनिधित्व देकर इतिश्री कर देते हैं। ताकि देश की ये बहुसंख्यक आबादी अपने अधिकारों की वाजिब मांग न कर सके’।
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